यूपी की जिलाधिकारी शासन के इस आदेश के बाद जांच के लिए पहुंचे तो फर्जीवाड़ा साफ नजर आया. ताजा मामला हरदोई, पीलीभीत और प्रतापगढ़ का है.
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बात सबसे पहले प्रतापगढ़ की. यहां के जिलाधिकारी शंभू कुमार ने दो आश्रय गृहों में छापा मारा तो 26 महिलाएं गायब थीं. जिलाधिकारी को बताया गया कि महिलाएं काम के लिए आस-पास गई हैं. देर शाम दोबारा छापा मारा गया लेकिन फिर कोई नहीं मिला. ये साफ हो गया है कि केवल अनुदान के लिए रजिस्टर में महिलाओं के नाम फर्जी तरीके से लिखे गए थे.
पीलीभीत में भी जब छापा मारा गया तो 30 नाम रजिस्टर में थे जबकि मौके पर सात लड़कियां थी. जिलाधिकारी अखिलेश मिश्रा ने बताया कि ये मामला संख्या बढ़ा कर पैसा कमाने का है. एक महिला के लिए 50 रुपया प्रतिदिन मिलता है जिसके लिए इन्होंने संख्या बढ़ाई थी. अब कार्रवाई की जा रही है.
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हरदोई के जिलाधिकारी पुलकित खरे भी शासन के निर्देश पर सोमवार को बेनीगंज स्थित सुधार गृह पहुंचे थे. रजिस्टर देखा तो 21 महिलाओं के नाम दर्ज थे लेकिन मौके पर केवल दो महिलाएं मौजूद थीं. उन्होंने शासन को तत्काल अनुदान रोकने की सिफारिश भेजी है.
एबीपी न्यूज़ को डीएम ने बताया कि स्वाधार गृह को सीज कर दिया गया है और इस मामले में गिरफ्तारी भी हुई है. सभी लड़कियों अपने-अपने घरों पर सेफ हैं. यह केंद्र केवल अनुदान के लिए चलाया जा रहा था हालांकि पिछले एक साल से इसे अनुदान नहीं मिला है.
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उन्होंने बताया कि इससे पुरानी फाइलें मंगाई जा रही हैं कि संस्था को कब और कितना अनुदान मिला था. इन लोगों ने फर्जी रूप से आस-पास की लड़कियों और महिलाओं के नाम रजिस्टर में अंकित किए थे. ये केवल फर्जीवाड़े का मामला था.
दरअसल देवरिया कांड सामने आने के बाद तीन अगस्त को सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया था कि मौके पर जाकर ऐसे आश्रय गृहों की जांच की जाए. साथ ही अगर कोई अनियमितता पाई जाती है तो कड़ी कार्रवाई की जाए.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रेस कॉन्फेंस करके सीबीआई जांच और एसआईटी के गठन का आदेश दिया था. उन्होंने साफ कहा था कि दोषी लोगों को बक्शा नहीं जाएगा और दूध-पानी को अलग करने के लिए सीबीआई जांच जरूरी है.
यूपी बीजेपी प्रवक्ता डॉक्टर चंद्रमोहन ने कहा कि सरकार ऐसी घटनाओं के प्रति गंभीर और संवेदनशील है. जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे उन पर कानून अपना काम करेगा. फिलहाल सरकार ने जांच सीबीआई के हवाले कर दी है.
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आपको बता दें कि देवरिया शेल्टर होम मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताते हुए हुई इसकी जांच की मानीटरिंग खुद किये जाने का फैसला किया है. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले में यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और पुलिस अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने पर हैरानी भी जताई है.