पटना: बिहार में डेंगू का कहर नहीं थमा है. बिहार में अबतक 2323 डेंगू के मरीज़ों की संख्या पहुंच चुकी है जिसमें सिर्फ़ राजधानी पटना में अबतक 1724 मरीज़ों में डेंगू पॉज़िटिव पाया गया है. ग़ौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट ने राज्य की नीतीश सरकार से बाढ़ से बेहाल हुए पटना में स्वच्छता कार्य करने और राज्य में तेजी से फैल रहे डेंगू के प्रसार को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों का विवरण देने का निर्देश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी.


पटना के दो विधायक भी डेंगू के चपेट में
राज्य में अबतक 1100 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. वहीं, डेंगू से केवल आम जनता ही चपेट में नहीं आ रही हैं, बल्कि नेताओं को भी डेंगू ने अपनी चपेट में ले लिया है. डेंगू की चपेट में आकर पटना के बांकीपुर के विधायक नीतिन नवीन भी बीमार पड़ गए हैं. पटना के नितिन नवीन और संजीव चौरसिया भी डेंगू के चपेट में हैं. दोनों ही विधायक घर पर मच्छरदानी में हैं.विधायक नितिन नवीन के मुताबिक़ डॉक्टर की टीम देखभाल के रही है लेकिन डेंगू से परेशानी ख़त्म नहीं हुई है.


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बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक़ पहली जनवरी से सितम्बर तक इक्के-दुक्के मरीज़ ही डेंगू के देखे गए जबकि अबतक बिहार में डेंगू मरीज़ों की संख्या 2200 से ऊपर हो चुकी है. हालांकि सरकार की तरफ़ से प्रयास जारी है. पटना के पीएमसीएच में बीते 23 सितम्बर से अबतक डेंगू से 220 डेंगू के मरीज़ आ चुके हैं, वहीं अस्पताल में 39 डेंगू मरीज़ भर्ती हैं.


अक्टूबर का पूरा महीना डेंगू के आतंक से प्रभावित रहेगा
डेंगू बुखार सबसे अधिक जुलाई से अक्टूबर महीने के बीच में होता है. इस मौसम में मच्छरों के पनपने की अनुकूल परिस्थितियां होती हैं. पीएमसीएच के मुख्य अधीक्षक के मुताबिक़ दीपावली तक डेंगू के बुखार या एडीज मच्छर के वायरस से परेशानी होगी.मौसम में ठंडापन बढ़ने से मरीजों की संख्या में कमी आएगी.


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पीएमसीएच में मरीज़ों के इलाज में लापरवाही का आरोप भी है.बता दें कि राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में लोग इलाज कराने पहुंचे हैं.मरीज़ों का
आरोप है कि अल्ट्रा साउंड और एक्स रे के लिए डॉक्टर मौजूद नहीं होते. एबीपी न्यूज़ की ने भी मरीज़ों से बात की जहां मरीज़ और उनके अभिभावकों भीड़ एक्सरे रूम के बाहर दिखाई दी.डॉक्टर के आने का समय निर्धारित नहीं होने के वजह से मरीज़ परेशान दिखाई दिए.मरीज़ों का आरोप है कि डॉक्टर सीमित संख्या में ही मरीज़ों का इलाज करते हैं.