पटना: शराब के बाद अब बिहार में खैनी पर भी रोक लगेगी. बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने गुटखा और पान मसाला की ही तरह खैनी को भी स्वास्थ्य के लिए हानीकारक मानकर इसे प्रतिबंधित करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है.


ये प्रस्ताव भारत सरकार के खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण को भेजा जा रहा है. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि खैनी को फूड प्रोडक्ट की सूची में डाला जाए ताकि इसके खरीदने और बेचने के साथ साथ इसके खाने पर भी रोक लगाई जा सके.


इसके खाने से कैंसर और अल्सर जैसी बीमारियां होती हैं. इसलिए इस पर रोक के लिए भारत सरकार के पास प्रस्ताव भेजा जा रहा है. गुटखा पर 2014 से ही बैन है और इसका असर काफी हुआ है.


एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए प्रधान सचिव स्वास्थ्य संजय कुमार ने कहा कि बिहार में नशामुक्ति करने की कोशिश के तहत शराब को बैन किया गया है अब खैनी खाने पर रोक लगाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. क्योंकि खैनी किसी चीज़ के साथ मिलाकर खाने योग्य नहीं है.


रोक लगाने का सबसे बड़ा फायदा लोगों को जागरूक करना है. लोग जागरूक होते हैं तो धीरे धीरे इसका सेवन कम होगा और बिहार नशामुक्ति की तरफ आगे बढ़ेगा. खैनी पर रोक लगाने के लिए खाद्य सुरक्षा कानून के नियम का पालन किया जाएगा जिसमें कहा गया है कि किसी भी खाद्य पदार्थ में तंबाकू और निकोटिन की मात्रा नहीं होना चाहिए.


एक आंकड़ा के मुताबिक बिहार में 23.7 फीसद लोग चबाने वाले तंबाकू का प्रयोग करते हैं इनमें से 20.4 फीसद लोग खैनी के रूप में तंबाकू खाते हैं. देश में हर साल तंबाकू खाने से 12 लाख लोगों की मौत हो जाती है.


बिहार के समस्तीपुर और वैशाली में बड़े पैमाने पर तंबाकू की खेती होती है. कम जगह और कम लागत में ज़्यादा फायदा मिलने की वजह से इसकी खेती किसान छोड़ना नहीं चाहते. ऐसे में इनका बाज़ार बड़ा है और इसका नुकसान हो सकता है. ऐसे में सरकार किसानों को योजनाओं और सहायता के ज़रिए इसप र रोक लगाने के लिए प्रोत्साहित करेगी.