नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अबतक सुस्त पड़े महागठबंधन में अब हलचल तेज़ होने वाली है. इंतज़ार है तो बस 19 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव के ख़त्म होने का. महागठबंधन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक़ राज्यसभा चुनाव के बाद सभी सहयोगियों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हो जाएगा. इस बातचीत में जिस मुद्दे पर सबसे पहले जो चर्चा होगी वो है चुनाव में महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री उम्मीदवार को लेकर. सूत्रों का कहना है कि गठबंधन के सबसे बड़े दल आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव को भले ही उनकी पार्टी मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर देख रही हो लेकिन इस सवाल पर अभी फ़ैसला होना बाक़ी है.
तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर महागठबंधन में स्थिति स्पष्ट नहीं है बल्कि अगर ये कहा जाए कि उनकी उम्मीदवारी को सहयोगी दलों ने नकार दिया है तो ग़लत नहीं होगा. उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी ने चुनाव में नेतृत्व का फ़ैसला करने के लिए समन्वय समिति के गठन की मांग की है. और तो और कांग्रेस भी चुनाव के पहले तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाने को लेकर ज़्यादा उत्साहित नहीं है. सम्भावना है कि राज्यसभा चुनाव के बाद जब कॉंग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल की व्यस्तता ख़त्म होगी तब आरजेडी के अलावा गठबंधन के कुछ सहयोगी दिल्ली में कॉंग्रेस के नेताओं से मुलाक़ात कर सकते हैं.
नेतृत्व पर सवाल के अलावा तेजस्वी यादव की मुश्किलें और भी हैं. उनके सामने फिलहाल महागठबंधन का स्वरूप बनाए रखना ही सबसे बड़ी चुनौती है. पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी लगातार जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लगातार संपर्क में हैं. माना जा रहा है कि उनकी पार्टी का महागठबंधन से नाता तोड़कर नीतीश कुमार के साथ आना महज कुछ समय की बात रह गई है. वहीं राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा लगातार दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं. चर्चा है कि उनकी कई मुलाक़ातें कॉंग्रेस के बड़े नेताओं से हो चुकी हैं. माना जा रहा है कि कुशवाहा तेजस्वी यादव की उम्मीदवारी घोषित नहीं किए जाने को लेकर कॉंग्रेस को राज़ी करने में लगे हैं. महागठबंधन के एक अन्य साथी मुकेश साहनी भी एनडीए के सम्पर्क में बताए जा रहे हैं.
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