इंदौर: #MeToo अभियान को लेकर स्थानीय बीजेपी विधायक उषा ठाकुर के बयान पर विवाद खड़ा हो गया है. ठाकुर ने महिलाओं को नैतिक मूल्यों के पालन की सलाह देते हुए कहा है कि उन्हें अपनी तरक्की के लिये "शॉर्टकट" कभी नहीं चुनना चाहिये. उषा, शहर के क्षेत्र क्रमांक-तीन की विधायक होने के साथ मध्यप्रदेश की बीजेपी इकाई की उपाध्यक्ष भी हैं.
कांग्रेस ने लगाया महिला विरोधी होने का आरोप
प्रदेश में 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर ठाकुर के इस बयान ने सियासी तूल पकड़ लिया है. प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने कहा, "बीजेपी विधायक का बयान सत्तारूढ़ दल की महिला विरोधी सोच और इस पार्टी की चाल, चरित्र और चेहरा बताता है."
उन्होंने कहा, "इस सोच के कारण ही प्रदेश में महिलाओं और छोटी बच्चियों से दुष्कर्म के मामले बढ़ रहे हैं. इस सोच के कारण ही बीजेपी विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर को बचाने की कोशिश कर रही है जिन पर मी टू अभियान के तहत कई महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाये हैं." बीजेपी विधायक के आपत्तिजनक बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.
विधायक ने महिलाओं को दिया था शॉर्ट कट अपनाने की सलाह
मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद और केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर पर कई महिला पत्रकारों ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं. इसी सवाल का जवाब देते हुए ऊषा ठाकुर ने कहा था, "इस मामले में मेरा स्पष्ट मत है कि हम जब निजी स्वार्थों की सिद्धि के लिये नैतिकता का मार्ग छोड़ते हैं और जीवन मूल्यों को बहिष्कृत करते हैं, तब हमें इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है."
उन्होंने कहा, "मेरी सभी मातृ शक्तियों (महिलाओं) और भाइयों से प्रार्थना है कि वे अपनी प्रगति के लिये शॉर्टकट कभी न चुनें. अगर हमने नैतिक मूल्यों और जीवन मूल्यों के साथ समझौता करके कोई सफलता हासिल की, तो भारतीय संस्कृति उसे निरर्थक मानती है."