जमशेदपुर/रांची: कोरोना वायरस के ठीक पहले का वक्त छोटे-बड़े उद्योगों के लिए एक टर्निंग फेज था, जिसमें बहुत से बदलाव हुए थे. इन बदलाव के बीच से ही स्टील इंडस्ट्री गुजर रही थी. उम्मीद थी कि नए फाइनेंशियल ईयर में चीजें बेहतर होंगी, लेकिन उससे पहले कोरोना आ गया. पहले आर्थिक मंदी ने स्टील उद्योग की कमर तोड़ दी थी और अब इस लॉकडाउन की वजह से हालत बेहद खराब हैं.


झारखंड की औद्योगिक राजधानी माने जाने वाले जमशेदपुर के आदित्यपुर में छोटी-बड़ी 1000 से ज्यादा इंडस्ट्रीज हैं, जो स्टील से जुड़ा काम करती हैं. लगभग सभी कंपनियां टाटा मोटर्स में लगने वाले कंपोनेंट बनाती हैं, जो स्टील के होते हैं. इससे पहले ये सभी आर्थिक मंदी से उबरने में लगे थे, लेकिन अभी के हालत ऐसे हैं कि कंपनी को बचाकर कैसे रखना है इस पर ध्यान है.


जमशेदपुर में TMF कंपनी के रूपेश कतरियार ने बताया कि ये टाटा मोटर्स के लिए स्टील का कंपोनेंट बनाते हैं. 2 महीने से मशीन खड़ी हैं. प्रोडक्शन बंद है. ऐसी मंदी हमनें कभी नहीं देखी है. साल भर में 2 से 3 करोड़ के आसपास का टर्नओवर है. हालत ऐसे हैं कि कुछ दिनों बाद जैसे नेताओं को पूर्व नेता कहा जाता है, वैसे ही हमें पूर्व उद्यमी कहा जाएगा.


वहीं, पुष्कर टेक्नो के अमित रॉय ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि स्टील इंडस्ट्री की मंदी डिमांड के आधार पर और सरकार की मदद से खत्म हो सकती है. हम लोगों का 200 के करीब स्टाफ है, जिसमें तकरीबन 50 लोग बेरोजगार हैं.


हिमालय इंडस्ट्रीज के राजीव शुक्ला ने बताया कि ये लोग ट्रकों की चेसी बनाते हैं और साल भर में करीब 12 करोड़ का काम करते हैं. पहले 50 लोगों के करीब काम करते थे, लेकिन अब हालात ये हैं कि ट्रक कंपोनेंट बनाने की जगह अब कोरोना के लिए टच फ्री हैंड वॉश मशीन बनाने लगे हैं.


दरअसल ये सभी लोग स्टील से जुड़ा काम करते हैं. सभी इंडस्ट्री डिमांड और सप्लाई के आधार पर चलती हैं. जमशेदपुर में ज्यादातर स्टील का काम करने वाली कंपनियां टाटा मोटर्स से जुड़ी हैं. कुछ कामगार भी ऐसे मिले जिनके बच्चों की फीस भरने तक के लिए अब पैसे नहीं हैं. जैसे जमशेदपुर के ही राजू महतो ने बताया कि वह स्टील प्लांट में काम करते थे. 2 महीने पहले नौकरी चली गई. हालत इतनी खराब है कि जब स्कूल खुलेगा तो बच्चों की फीस देने तक के पैसे नहीं है. जो इतने सालों से बचाया था वो ही खा रहे थे.


वहीं जयजय राम ने कहा कि 10 साल से स्टील प्लांट में काम कर रहे थे. नौकरी जा चुकी है और ज़िन्दगी कैसे चलेगी कुछ नहीं पता है. आगे क्या होगा नहीं जानते हैं. स्टील फैक्ट्री में काम करने वाले अजय ने कहा कि हर दिन एक फैक्ट्री से दूसरी फैक्ट्री जाते हैं, काम की तलाश में. अब नौकरी जाने के बाद कहीं नौकरी नहीं है. इधर-उधर भटक रहे हैं. स्कूल बंद है, इसलिए जो बचाया था, उससे खर्चा चल पा रहे हैं, नहीं तो क्या होता नहीं जानते.


जमशेदपुर को अगर उदाहरण मान लें तकरीबन 1000 फैक्ट्रियां स्टील से जुड़ा काम करती हैं, कहने के लिए ये सभी लोग कह रहे हैं कि कामगारों को निकाला नहीं गया है, लेकिन हकीकत ये है कि इस इंडस्ट्री से जुड़े लाखों लोग इस वक्त बेरोजगार हो चुके हैं.


एक अनुमान के मुताबिक जमशेदपुर में इससे जुड़े कुल करीब 150000 लोग हैं, जो स्टील कंपनियों में काम करते हैं, लेकिन मौजूदा हालात ऐसे हैं कि कंपनियां बंद हो चुकी हैं और लोग बड़ी संख्या में बेरोजगार हो गए हैं.


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