आगरा: दलितों को मनाने की कोशिश में बेबी रानी मौर्य को उत्तराखंड का नया राज्यपाल बनाया गया है. वे जाटव बिरादरी की हैं. आगरा की मेयर रह चुकी मौर्य को जब ये ख़ुशख़बरी मिली, तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा. वे अभी अमेरिका गई हुई हैं. 62 साल की बेबी रानी को बीजेपी में भी कम ही लोग जानते हैं. लेकिन दलित और फिर महिला होने का उन्हें फ़ायदा मिला. आगरा और आसपास के इलाक़ों में जाटव बिरादरी का दबदबा रहा है.


बेबी रानी मौर्य 1995 से 2000 तक आगरा की मेयर रहीं. 2007 में वे एतमादपुर से विधानसभा का चुनाव लड़ीं, लेकिन हार गईं. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में वे फिर से क़िस्मत आज़माना चाहती थीं. लेकिन पार्टी ने बेबी रानी मौर्य को टिकट नहीं दिया. साल 2013 से 2015 तक वे बीजेपी की प्रदेश मंत्री रहीं.


लक्ष्मीकांत वाजपेयी तब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे. 2002 में बेबी रानी मौर्य को राष्ट्रीय महिला आयोग का सदस्य बनाया गया. जब राजनाथ सिंह यूपी के मुख्य मंत्री थे तो उन्हें प्रदेश सामाजिक कल्याण बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया था. देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जब अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष थे. बेबी रानी मौर्य मोर्चे की कोषाध्यक्ष बनाई गई थीं. एमए और बीएड की पढ़ाई कर चुकी मौर्य कॉलेज के दिनों से ही आरएसएस से जुड़ गई थीं. उनके पति प्रदीप कुमार बैंक मैनेजर थे.


यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर उन्हें बधाई भी दी है जिसमें उन्होंने लिखा है,'"श्रीमती बेबी_रानी_मौर्या जी को उत्तराखंड के नए राज्यपाल नियुक्त किए जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाओं के साथ मुझे विश्वास है कि आपके नेतृत्व में लोक सम्मत नीति को गति एवं उत्तराखंड विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा.