आगरा: कहते हैं मां के प्यार की तुलना नहीं की जा सकती. ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के आगरा में सामने आया जहां जिस्मफरोशों के चंगुल में कैद चार वर्षीय मासूम बेटे की जिंदगी के लिए मां ने अपने आपको दाव पर लगा दिया. बेबस मां दिन में कई बार खुद की बोली लगता देख  जिंदा लाश की तरह बन चुकी थी. कई बार उसने खुद की जिंदगी खत्म करने के बारे में सोचा, मगर देह व्यापारियों के चंगुल से मासूम बेटे को बाहर निकालने की उम्मीद ने उसे जिंदा रखा. ऑपरेशन रेड लाइट एरिया के तहत बरामद हुई महिला की काउंसिलिंग में अंधेरी दुनिया का रोंगटे खड़े कर देने वाला सच पुलिस के सामने आया, दो सप्ताह पहले पीड़िता अपने परिवार के बीच लौटी है.


पश्चिम बंगाल के नार्थ 24 परगना जिले की महिला पांच महीने पहले पति से झगड़ा होने के बाद चार वर्षीय बेटे के साथ घर से निकल आयी, मायके जाने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंची महिला को जिस्मफरोशी रैकेट से जुड़े लोगों ने अपने जाल में फांस लिया. उसे अपनी महिला साथी के साथ दिल्ली जाने वाली ट्रेन में बैठा दिया, वहां पहुंचते ही जिस्मफरोश उसे दिल्ली के रेड लाइट एरिया में ले गए. कुछ ही दिन में वहां का माहौल देखने के बाद महिला को आभास हो गया कि वह गलत जगह पहुंच गई है. उसने उन लोगों के चंगुल से भागने की कोशिश की तो उन्होंने मासूम बेटे को अपने कब्जे में करके अज्ञात जगह पर भेज दिया, इसके बाद से मारने की धमकी देकर आगरा के रेड लाइट एरिया में भेज दिया.


उधर महिला के पति द्वारा मायके वालों से उसके वहां पहुंचने का पता किया तो वहां से उसके ना पहुंचने की खबर मिली. इसके बाद महिला की तलाश शुरू की गई. चार साल का मासूम बेटा दिल्ली में बैठे जिस्मफरोशों के चंगुल में था, इसके बूते महिला को ब्लैकमेल करके उन्होंने दिल्ली से आगरा के थाना छत्ता के रेड लाइट एरिया के एक कोठे पर बैठा दिया था. वह बेटे की 24 घंटे में एक बार उसकी मां से वीडियो कॉल पर बात कराते, ताकि महिला को यकीन रहे कि वह सुरक्षित है.


नवंबर 2018 में महिला का पता चला. महिला की तलाश में जुटे उसके परिवार का परिचित कश्मीरी बाजार रेड लाइट एरिया की खाक छान रहा था, इसी दौरान उसे कोठे से झांकती एक महिला की झलक दिखी. उस महिला का चेहरा बिल्कुल उससे मिलता- जुलता था. वह दलाल के माध्यम से कोठे पर पहुंचा, महिला ने भी उसे पहचान लिया. परिचित का इशारा समझते ही वह अनभिज्ञ बन गई, उसने महिला के परिजनों को उसके रेड लाइट एरिया में होने की जानकारी दी. पीड़िता के कश्मीरी बाजार रेड लाइट एरिया में होने की पुष्टि के बाद परिजनों ने एसएसपी अमित पाठक से मदद मांगी. उन्होंने ऑपरेशन रेड लाइट एरिया को पूरा करके महिला को बरामद करने का टॉस्क 23 नवंबर को सीओ कोतवाली अब्दुल कादिर को सौंपा.


रेस्क्यू से पहले उसकी खबर लीक न हो इसके लिए इसे बेहद गोपनीय रखा गया, क्योंकि पीड़िता के परिजन को स्थानीय पुलिसकर्मियों के जिस्मफरोशों से संपर्क होने की आशंका थी. सीओ ने सर्किल के थानों के एक दर्जन पुलिसकर्मियों की टीम बनाई, मगर उन्हें किस काम के लिए बुलाया गया है, ये नहीं बताया गया था, सबको थाने पर एकत्रित करके मोबाइल जमा करा लिए, इसके बाद उन्हें आपरेशन रेड लाइट एरिया की जानकारी दी. महिला को मुक्त कराने के बाद पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती चार वर्षीय बेटे को सकुशल बरामद करने की थी, जिस वाट्सएप नंबर से मासूम की उसकी मां से वीडियो कॉल कराई जाती थी, पुलिस ने उसकी सिम आइडी से यूजर का पता लगाने के बाद दिल्ली में चार- पांच जगहों पर ताबड़तोड़ दबिश देकर उसे बरामद कर लिया.


महिला के परिजनों ने टीम बनाकर कोलकाता, दिल्ली, गाजियाबाद, मेरठ और आगरा समेत दस जिलों के 100 से ज्यादा कोठे खंगाले. वह हर कोठे पर ग्राहक बनकर जाते थे, हर कोठे पर जाने के बदले उन्हें तीन से पांच सौ रुपये देने पड़ते, उन्होंने लाखों रुपये इसी में खर्च कर डाले. एएसपी छत्ता गोपाल चौधरी ने कहा कि पीड़िता और उसके बेटे को सकुशल बरामद करने के बाद परिजनों के सुपुर्द कर दिया है. इससे पहले उसकी काउंसिलिंग भी कराई गई, जिससे कि वह पिछली जिंदगी को भुलाकर नए सिरे से जीवन शुरू कर सके, उसने आगरा पुलिस का धन्यवाद भी दिया है.