नई दिल्लीः प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान ऐसे व्यक्ति को देना चाहती हैं जो दिल्ली के राजनीतिक गलियारों के बारे में ज़्यादा नहीं जानता हो क्योंकि लोकसभा चुनाव की हार के बाद जितने कार्यकर्ताओं ने प्रियंका गांधी से मुलाक़ात की, सबने राज बब्बर की शिकायत करते हुए कहा, अध्यक्ष ने कभी यूपी में समय नहीं दिया. वो सिर्फ़ लखनऊ, दिल्ली और मुम्बई से उत्तर प्रदेश कांग्रेस को चला रहे थे जिस पर प्रियंका गाधी ने भी सहमति जताई.
मिशन 2022 की तैयारियों के मद्देनज़र प्रियंका गांधी ऐसे नेता को यूपी का अध्यक्ष बनाना चाहती हैं जो ज़्यादा से ज़्यादा समय प्रदेश में रहे और संगठन का व्यक्ति हो. लिहाजा इस रेस में दूसरी बार विधायक और यूपी कांग्रेस के सीएलपी नेता अजय कुमार लल्लू और दो बार विधायक रह चुके और उत्तराखंड के कांग्रेस प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह शामिल हैं.
अजय कुमार लल्लू
अजय कुमार लल्लू पूर्वी उत्तरप्रदेश के ऐसे इलाक़े से आते हैं जो बिहार से सटा हुआ है और छात्र राजनीति और कई सामाजिक मुद्दों पर जेल तक जा चुके अजय कुमार लल्लू हमेशा सवर्णों के ख़िलाफ़ राजनीति करते रहे. अजय लल्लू के पक्ष में उनकी आयु भी है और उनके बारे में ये भी कहा जाता है कि उनको कांग्रेस के नाम पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत वोट मिलते हैं. वहीं कांग्रेस में ये भी माना जाता है कि वो दिल्ली के चक्कर कम काटते हैं.
अनुग्रह नारायण सिंह
दूसरा नाम है अनुग्रह नारायण सिंह, ये भी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष रहे और छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक सफ़र की शुरुआत की. राहुल गांधी ने अनुग्रह को उत्तराखंड के प्रभारी की ज़िम्मेदारी भी दी थी. हालांकि अनुग्रह कांग्रेस के संगठन को अच्छे से नहीं समझते और उत्तराखंड के प्रभारी के तौर वो राजनीतिक और चुनावी गणित समझने मे नाकाम रहे. कुछ जानकारों ने ये भी बताया कि अगर भारी भरकम नाम की ज़रूरत पड़ी तो जीतिन प्रसाद और आरपीएन सिंह के नाम पर भी चर्चा हो सकती है क्योंकि दोनों ही यूथ कांग्रेस, सांसद, प्रवक्ता, केन्द्रीय मंत्री जैसे बड़े पदों पर रहे हैं और दोनों के साथ परिवार की विरासत भी है.