लखनऊ: अखिलेश यादव प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीस मिनट की देरी से पहुंचे. वे जब मंच पर पहुंचे तो उनके दोनों हाथों में टोंटी था. वही टोंटी, जिससे पानी निकलता है. अखिलेश बोले,"मैं सरकार को टोंटी देने आया हूं." पत्रकारों ने पूछा - आप टोंटी कैसे देंगे ? क्या स्पीड पोस्ट से भेजेंगे ? अखिलेश ने कहा," आप लोगों ने मेरे घर का कोना कोना दिखाया है तो अब आप ही दिखाओ और बताओ."


सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को घर ख़ाली करना पड़ा. यहां पूर्व सीएम को सरकारी बंगला देने का नियम रहा है. 2 जून को अखिलेश यादव ने 4 विक्रमादित्य मार्ग की कोठी ख़ाली कर दी. मीडिया रिपोर्ट में सरकारी घर में तोड़-फोड के आरोप से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ग़ुस्से में हैं.


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उन्होंने कहा कि मैंने घर अपने पैसे और अपनी पसंद से बनवाया था, तो मैं अपना सामान लेकर चला गया. अखिलेश ने कहा,"रात के अंधेरे में सीएम के ओएसडी अभिषेक कौशिक और सचिव मृत्युंजय नारायण क्या करने गए थे, वे फ़ोन पर लगातार किस से बात कर रहे थे."



यूपी के पूर्व सीएम ने कहा मेरे घर में कोई तोड़फोड़ नहीं हुई थी. मैंने कोई स्वीमिंग पूल नहीं बनवाया था. जो सामान मेरा था, मैं वही ले गया. उपचुनाव में हार से बौखलाई बीजेपी मुझ पर झूठे आरोप लगा रही है.


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प्रेस कनफ़्रेंस के दौरान अखिलेश यादव का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर था. उन्होंने कुछ रिपोर्टरों और फ़ोटोग्राफ़रों का नाम लेकर उनकी आलोचना की जबकि एक फ़ोटोग्राफ़र की उन्होंने ख़ूब तारीफ़ की. अखिलेश ने कहा मैं तो अपने घर का मंदिर तक नहीं ले गया. मेरे और बच्चों के बेड रूम जैसे थे, आज भी वैसे ही हैं.


नाराज़ अखिलेश बोलते बोलते पत्रकारों को ‘अंधे लोग’ तक बोल गए. अखिलेश ने कहा अंधे लोग बतायें मेरे घर में स्वीमिंग पूल कहां था. उन्होंने पत्रकारों को जम कर कोसा. अखिलेश ने कहा," मैं अपनी ख़्वाहिशें किसी और के नहीं, अपने पैसों से पूरी करता हूं."


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45 मिनट की इस प्रेस कनफ़्रेंस में सरकारी बंगले में तोड़ फोड़ का मुद्दा ही छाया रहा. उन्होंने कहा मैं भी फ़ोटोग्राफ़ी जानता हूं. अखिलेश यादव ने यूपी के राज्यपाल राम नाईक को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि राज्यपाल तो अच्छे हैं लेकिन कभी कभी उनकी आत्मा में आरएसएस घुस जाती है.


कल ही राजपाल ने सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिख कर अखिलेश के घर में हुई तोड़फोड़ की जांच कराने को कहा था. अखिलेश ने कहा जब मैं सीएम था तो मैंने उस घर में मंदिर बनावाया था. लाइट लगवाई थी. गेट पर दो जाली बनवायी थी. लकड़ी का सामान मंगवाया था. इसके लिए मैंने सरकार से पैसे नहीं लिए. अब सीएम उसी घर को दिखा कर इन्वेस्टर बुला रहे हैं. मेरा वो सामान लौटा दें. वो मेरा अपना था.


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अखिलेश यादव इस सवाल को टाल गए कि सरकारी घर में अपना पैसा कैसे ख़र्च हो सकता है? क्या उन्होंने राज्य संपत्ति विभाग से इसके लिए इजाज़त ली थी. सरकारी घरों में बिना इजाज़त के कोई फेर बदल नहीं हो सकता है. अखिलेश के मोबाइल में हर न्यूज़ चैनल पर सरकारी बंगले की ख़बर की कलीपिंग थी. अख़बारों में छपी ख़बरें के लिंक थे.



अखिलेश यादव की प्रेस कॉन्फ़्रेंस ख़त्म होते ही योगी सरकार ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस बुला ली. स्वास्थ्य मंत्री और सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने मोर्चा संभाला. वे बोले,"चोर की दाढ़ी में तिनका वाली कहावत याद आ रही है, अगर वे कह रहे हैं अपने पैसों से बनवाया तो फिर इनकम टैक्स वालों को देखना चाहिए कि उन्होंने बंगले पर कितना ख़र्च किया."


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यूपी सरकार की तरफ़ से कहा गया कि राज्य संपत्ति विभाग मुख्यमंत्री के पास है. घर ख़ाली होने के बाद वहां कौन अधिकारी जाता है, ये उनका काम है. सिद्धार्थ नाथ सिंह बोले,"अखिलेश जी टोंटी को लेकर इतना परेशान क्यों हैं ? सुना है वे प्रेस कनफ़्रेंस में भी टोंटी लेकर घूम रहे थे."


सोशल मीडिया में सरकारी घर में तोड़फोड को लेकर अखिलेश यादव का मज़ाक़ उड़ाया जा रहा है. इस बात से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ख़फ़ा हैं. वहीं मायावती की तारीफ़ हो रही है. बीएसपी सुप्रीमो ने सरकारी बंगला छोड़ने से पहले उसका कोना कोना मीडिया को दिखा दिया था.