यूपी: एसपी-बीएसपी के कार्यकर्ताओं को जोड़ने के लिए अखिलेश यादव ने दिया नया नारा
टिकटों की मारामारी के बीच अखिलेश यादव ने नया नारा दिया है. ये नारा उन्होंने सिर्फ़ समाजवादी पार्टी के लिए नहीं दिया है. अखिलेश के मन की बात सहयोगी दल बीएसपी और आरएलडी के लिए भी है.
लखनऊ: टिकटों की मारामारी के बीच अखिलेश यादव ने नया नारा दिया है. ये नारा उन्होंने सिर्फ़ समाजवादी पार्टी के लिए नहीं दिया है. अखिलेश के मन की बात सहयोगी दल बीएसपी और आरएलडी के लिए भी है. उनका नया नारा है - एक भी वोट न घटने पाए, एक भी वोट न बँटने पाए.
अखिलेश की चिंता इस बात को लेकर है कि एसपी और बीएसपी के वोटों का बँटवारा न हो. 25 सालों की दुश्मनी के बाद दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन हुआ है. सालों की कड़वाहट को ख़त्म कर साथ साथ कैसे चलें. इस सवाल पर एसपी और बीएसपी में मंथन जारी है. दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ताओं का मन कैसे मिले इसके लिए एक रोड मैप तैयार किया गया है.
एक भी वोट न घटने पाए! एक भी वोट न बँटने पाए! प्रिय समाजवादियों, ये नारा मैं अपने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को आगामी चुनाव में अपनी जीत व लोकतंत्र को सुनिश्चित करने के लिए दे रहा हूं. अपने-अपने बूथ पर, सहयोगी दलों के साथ शत-प्रतिशत मतदान के लिए अभी से जुट जाइए! #JaiSamajwad pic.twitter.com/rtR5eHsk0s
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 20, 2019
तय हुआ है कि लोकसभा उम्मीदवार के नाम के एलान के समय दोनों ही पार्टी के नेता मंच पर मौजूद रहें. भले ही टिकट समाजवादी पार्टी को मिले या फिर बीएसपी को. आज ही ग्रेटर नोएडा में एक कार्यक्रम में बीएसपी ने गौतमबुद्ध नगर से लोकसभा प्रत्याशी की घोषणा की.
सतवीर नागर यहाँ से अगला चुनाव लड़ेंगे. जब उनकी उम्मीदवारी की घोषणा हुई तो सांसद सुरेन्द्र नागर समेत समाजवादी पार्टी के कई नेता मौजूद थे. जब एसपी अपने प्रत्याशी का एलान करेगी तो बीएसपी के नेताओं को भी बुलाया जाएगा. मक़सद संदेश देने का है कि हम साथ साथ हैं.
ज़िला स्तर से लेकर बूथ लेवल तक के कार्यकर्ताओं के सम्मेलन करने का फ़ैसला हुआ है. इन बैठकों में एसपी और बीएसपी के लोग बुलाये जायेंगे. साथ कैसे काम करें इस पर चर्चा होगी और बनाई गई रणनीति पर काम होगा.
मायावती के एक इशारे पर उनके वोटर वोट डाल देते हैं इसीलिए कहा जाता है कि बीएसपी का वोट आसानी से ट्रांसफ़र हो जाता है. ऐसा पहले भी हो चुका है लेकिन क्या समाजवादी पार्टी के मामले में भी ऐसा हो पाएगा ये अब तक टेस्ट नहीं हो पाया है.
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क्या यादव बिरादरी के लोग एससी समाज के बीएसपी के उम्मीदवार को वोट करेंगे? इसी सवाल से निपटने के लिए अखिलेश यादव ने ये नया नारा गढ़ा है. इस नए नारे को घर घर तक पहुँचाने की चुनौती है. मुस्लिम वोटरों को लेकर कहीं कोई असमंजस की स्थित नहीं है.
बीएसपी और एसपी ने 1993 में मिल कर यूपी में सरकार बनाई थी. उन दिनों राम मंदिर का आंदोलन अपने चरम पर था लेकिन मुलायम सिंह यादव और कांशीराम की जोड़ी ने कमाल कर दिया था लेकिन क्या अखिलेश और मायावती की जोड़ी इस कामयाबी को दुहरा पाएगी?
पिछले लोकसभा चुनाव में बीएसपी का खाता तक नहीं खुल पाया था. पार्टी के सारे उम्मीदवार चुनाव हार गए थे. बीएसपी को 19.8 फ़ीसदी वोट मिले थे. समाजवादी पार्टी के 5 नेता चुनाव जीत पाए थे. मुलायम सिंह यादव के परिवार को छोड़ कर बाक़ी सभी प्रत्याशी चुनाव हार गए थे. एसपी को 22.4 प्रतिशत वोट मिले थे. 42.7 फ़ीसदी वोट पाकर बीजेपी ने 71 सीटें जीत ली थीं.