मैनपुरी (यूपी): 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को शिकस्त देने के लिए समाजवादी पार्टी (एसपी) अध्यक्ष अखिलेश यादव सीटों से भी समझौता कर सकते हैं. अखिलेश यादव ने मैनपुरी में बीजेपी के खिलाफ बिगुल फूंकते हुए कहा, ''ये लड़ाई लम्बी है. मैं आज कहता हूं की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से गठबंधन रहेगा और दो चार सीटें आगे पीछे रहेगी और त्याग भी करना पड़ेगा तो समाजवादी पार्टी पीछे नहीं हटेगी.''


दरअसल, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) अध्यक्ष मायावती ने आगामी लोकसभा चुनाव में बनने वाले गठबंधन को लेकर पिछले दिनों कहा कि था अगर सम्मानजनक सीटें नहीं मिली तो बीएसपी अकेले लड़ने के लिए भी तैयार है. मायावती के दबाव के बाद अखिलेश ने साफ कर दिया है कि वह जूनियर पार्टनर बनने को राजी हैं.


अखिलेश यादव गोरखपुर, फूलपुर, कैराना लोकसभा उप-चुनाव में विपक्षी दलों की सफलता से उत्साहित हैं. तीनों ही सीटों पर बीजेपी का कब्जा था. उप-चुनाव में बीजेपी को हराने लिए विपक्षी दल साथ आई और सत्तारूढ़ दल को हराया भी. यही फॉर्मूला लोकसभा चुनाव में भी अपनाया जा सकता है. उत्तर प्रदेश में बीएसपी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, आरएलडी गठबंधन कर सकती है. एसपी-बीएसपी अगर-मगर के साथ पहले ही गठबंधन का ऐलान कर चुकी है. इसी क्रम में पिछले महीने जब कर्नाटक में कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो राहुल गांधी, मायावती, अखिलेश और अजित सिंह एक मंच पर आए. शायद पहली बार था जब मायावती विपक्षी दलों की भीड़ में दिखाई दी थी. इसकी बड़ी वजह चुनावों में लगातार हार है.


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2014 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी 80 सीटों में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी. वहीं कांग्रेस और समाजवादी पार्टी परिवार तक ही सिमट गई थी. समाजवादी पार्टी ने 5 सीटों पर और कांग्रेस ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं बीजेपी गठबंधन ने 80 में से 73 सीटों पर जीत दर्ज कर विपक्ष को चौंका दिया था. 2014 में सभी विपक्षी पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ी थी. यही हाल विधानसभा चुनाव में भी रहा. अब खिसकते जनाधार और बीजेपी को मात देने के लिए सभी दल गठबंधन का रास्ता तलाश रही है.


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