लखनऊ/नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी (एसपी) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इन खबरों को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा कि सीबीआई अवैध खनन मामले में उनसे पूछताछ कर सकती है. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि उन्हें जांच एजेंसी को मायावती के साथ अपने गठबंधन की जानकारी देनी पड़े. यादव ने लखनऊ में संवाददाताओं से कहा कि वह सीबीआई का सामना करने के लिए तैयार हैं लेकिन जनता भी बीजेपी को जवाब देने के लिए तैयार है.


उन्होंने कहा, "अब हमें सीबीआई को बताना पड़ेगा कि गठबंधन में हमने कितनी सीटें वितरित की हैं. मुझे खुशी है कि बीजेपी ने कम से कम अपना रंग दिखा दिया. इससे पहले कांग्रेस ने हमें सीबीआई से मिलने का मौका दिया था और इस बार बीजेपी है जिसने हमें यह मौका दिया है."


उन्होंने कहा "एसपी इस कोशिश में है कि ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें जीते. जो हमें रोकना चाहते हैं, उनके पास सीबीआई है. एक बार कांग्रेस ने सीबीआई जांच करायी थी और मुझसे पूछताछ हुई थी. अगर बीजेपी यह सब कर रही है, सीबीआई मुझसे पूछताछ करेगी, मैं (उन्हें) जवाब दूंगा लेकिन जनता बीजेपी को जवाब देने के लिये तैयार है."


एजेंसी की शनिवार को सार्वजनिक हुई प्राथमिकी के अनुसार उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सीबीआई की जांच का सामना कर सकते हैं. उसी दिन धुर प्रतिद्वंद्वी एसपी और बीएसपी ने हाथ मिलाने का संकेत दिया था. एजेंसी ने हमीरपुर जिले में 2012..2016 के दौरान खनिजों के कथित अवैध खनन की जांच के लिए 11 व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी के सिलसिले में 14 ठिकानों पर छापेमारी भी की है.


यादव ने कहा, "सीबीआई छापेमारी क्यों कर रही है. जो भी वे पूछना चाहते हैं वे मुझसे पूछ सकते हैं. यद्यपि बीजेपी को यह याद रखना चाहिए कि वह जिस संस्कृति को छोड़कर जा रही है, कल उसे भी उसका सामना करना पड़ सकता है."


मायावती की बीएसपी के साथ सीट बंटवारे के बारे में औपचारिक घोषणा पर उन्होंने कहा कि यह एक सप्ताह के भीतर होने की उम्मीद है. यद्यपि उन्होंने गठबंधन में कांग्रेस को समायोजित करने पर रहस्य बरकरार रखा जिसमें अजित सिंह की रालोद भी शामिल है.


एसपी और बीएसपी ने आगामी लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने का फैसला किया है और दोनों ने बीजेपी से मुकाबले के लिए सीट बंटवारे की व्यवस्था पर काम भी कर लिया है. बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 73 सीटें जीती थीं.


यादव ने कहा, "आपको उसके (गठबंधन) बारे में लगभग सप्ताह भर में पता चल जाएगा." कांग्रेस के गठबंधन में शामिल होने की संभावना के बारे में यादव ने कहा कि इस बारे में कोई भी निर्णय उनके और मायावती द्वारा किया जाएगा. उन्होंने इस बारे में कुछ भी विस्तार से बताने से इनकार कर दिया.


उन्होंने कहा, "बीजेपी ने हमें गठबंधन में बारे में सिखाया, हम उसी रास्ते पर चल रहे हैं. हम बीएसपी के साथ गठबंधन बनाने का प्रयास कर रहे हैं. एसपी का उद्देश्य अधिकतम संख्या में सीटें जीतना है लेकिन जो हमें रोकना चाहते हैं, उनके पास सीबीआई है."


उन्होंने छापों को राजनीतिक रूप से प्रेरित बताते हुए सीबीआई की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाया. बीजेपी ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि अखिलेश यादव की सरकार की अवैध खनन मामले के आरोपियों के साथ "मिलीभगत" थी.


उत्तर प्रदेश के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने यादव के बदले की भावना से कार्रवाई के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "यदि आप जनता के पैसे की लूट करते हैं तो कानून अपना काम करेगा." सिंह ने राजधानी दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि छापों पर सवाल उठाने की बजाय यादव को जवाब देना चाहिए कि उनकी सरकार के कार्यकाल में इतनी "लूट" क्यों हुई.


कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने भी बीजेपी पर हमला किया और कहा कि जो भी उसके खिलाफ बोलता है उसके खिलाफ छापेमारी की जाती है. विपक्षी दलों ने आपस में हाथ मिलाकर गत वर्ष तीन लोकसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में बीजेपी को हराया था. 2017 विधानसभा चुनाव के बाद यह ताकत का पहला प्रदर्शन था जिसमें बीजेपी ने 14 वर्ष बाद राज्य में सत्ता में आयी थी.


अपना दल भी एसपी-बीएसपी गठबंधन का हिस्सा होने के लिए वार्ता में शामिल है. वह बीजेपी के साथ भी बातचीत कर रही है. अपना दल प्रमुख कृष्णा पटेल ने कहा कि वह समान विचार वाले दलों के साथ गठबंधन करेगी.


अनुप्रिया पटेल की अपना दल (सोनेलाल) और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की बीजेपी के साथ मतभेदों की खबरों कर उन्होंने कहा, "मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहती. हालांकि, जहां तक ओ पी राजभर का सवाल है तो वह एक बार अपना दल से जुड़े रहे थे और पार्टी के युवा इकाई का नेतृत्व किया था."


अपना दल (सोनेलाल) अपना दल से अलग होकर बनी है. कृष्णा पटेल के दिवंगत पति सोने लाल पटेल ने अपना दल बनायी थी. अपना दल (सोनेलाल) जवाहर लाल पटेल ने बनायी थी जो कि अपना दल के संस्थापक सदस्य थे.