लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राजनीति में प्रियंका गांधी की एंट्री पर कहा कि युवा लोगों को मौका मिलना चाहिए. समाजवादी पाटी खुश है. मैं इस मौके पर कांग्रेस और उनके अध्यक्ष को मुबारकबाद देना चाहूंगा कि उन्होंने यह सही निर्णय लिया.


इससे पहले एटा के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि प्रियंका गांधी के राजनीति में आने से सपा-बसपा गठबंधन को कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि फायदा ही होगा. उन्होंने कहा कि कोई पार्टी किसी को भी कोई भी पद दे सकती है. प्रियंका को यदि महासचिव बनाया गया है तो हैरत की कोई बात नहीं है.


वहीं केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रियंका गांधी वाड्रा को राष्ट्रीय महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रभारी बनाये जाने को कांग्रेस का आंतरिक मामला बताते हुए कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में वह उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को चुनौती नहीं मानते. उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा भले ही प्रियंका को सक्रिय राजनीति में अब घोषित तौर पर सामने लाया गया हो, लेकिन अघोषित रूप से वह 15-20 वर्षों से काम कर रही हैं.


इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रियंका गांधी वाड्रा के सक्रिय राजनीति में आने से आगामी लोकसभा चुनावों के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि "शून्य में शून्य जोड़ने से शून्य ही मिलता है." उन्होंने इसको कांग्रेस की "राजनीतिक वंशवाद" की संस्कृति को आगे बढ़ाना बताया.


उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा का गठबंधन होने और उसमें कांग्रेस को शामिल ना किये जाने के बाद उभरे समीकरणों में प्रियंका का अचानक पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनना बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.


साल 2004 के लोकसभा चुनावों में पूर्वांचल से बीजेपी और कांग्रेस के हिस्से में दो-दो सीटें आई थीं. इसके बाद हुए 2007 में हुए विधान सभा चुनावों कांग्रेस के खाते में सिर्फ़ दो सीटें आई थीं. साल 2009 में हुए लोकसभा चुनावों में पूर्वांचल से कांग्रेस को छह सीटें मिलीं थीं.


साल 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के बावजूद वोटिंग प्रतिशत के हिसाब से कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन किया था. लेकिन फिर भी उसे पूर्वी उत्तर प्रदेश में कोई सीट हासिल नहीं हुई थी. कांग्रेस पूरे यूपी से अमेठी और रायबरेली के अलावा कोई लोकसभा सीट नहीं जीत पाई थी.