साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने की कोशिशों को गंभीरता से न लेने वाली जनता बधाई की पात्र: अखिलेश यादव
अखिलेश ने अयोध्या में विहिप की ‘धर्म सभा’ और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के कार्यक्रम पर तंज करते हुए कहा कि कालाधन, किसानों की तबाही, नौजवानों की बेरोजगारी, महिलाओं पर अत्याचार समेत तमाम मुद्दों पर बीजेपी सरकारों की विफलता को ढकने के लिए पैदा किये गये साम्प्रदायिक उन्माद को जनता ने गम्भीरता से नहीं लिया है.
लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि सत्तारूढ़ बीजेपी की मदद से अयोध्या में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप), शिव सेना और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा पैदा किये गये उन्माद को जनता ने गंभीरता से नहीं लिया. बीजेपी के कुत्सित इरादों को विफल करने के लिए जनता धन्यवाद की पात्र है.
अखिलेश ने अयोध्या में विहिप की ‘धर्म सभा’ और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के कार्यक्रम पर तंज करते हुए कहा कि कालाधन, किसानों की तबाही, नौजवानों की बेरोजगारी, महिलाओं पर अत्याचार समेत तमाम मुद्दों पर बीजेपी सरकारों की विफलता को ढकने के लिए पैदा किये गये साम्प्रदायिक उन्माद को जनता ने गम्भीरता से नहीं लिया है.
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिये ही अयोध्या का भावनात्मक मुद्दा उछाला गया है लेकिन अब जनता बीजेपी के धोखे में नहीं आने वाली. जनता ने बीजेपी को करारा जवाब दिया है. उम्मीद है कि जनता यह सजगता और सतर्कता हमेशा बनाए रखेगी.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी के संकल्प पत्र में जो वादे किए गए थे, उन्हें 2014 में केन्द्र में बहुमत आने के बाद भी पूरा नहीं किया गया. जनता के मुद्दों से पलायन राजनैतिक बेईमानी है. वादे पूरा न करना राजनीतिक भ्रष्टाचार है.
उन्होंने कहा कि बीजेपी और संघ की नीति और नीयत दोनों जनविरोधी हैं. विकास और प्रगति के विरुद्ध साजिश करना, समाज को बांटना और नफरत पैदा करना उसका स्वभाव है. इसी के चलते विहिप की धर्मसभा को लेकर अयोध्या ही नहीं, बल्कि पूरे देश में भी आशंकाएं प्रबल थीं.
अखिलेश ने अयोध्या प्रशासन पर स्थानीय निवासियों को घरों में कैद करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बच्चे और मरीज परेशान हैं. माहौल को डरावना बना दिया गया है. यह भी संज्ञान में रखना आवश्यक है कि सभा में वक्ताओं ने जो कुछ कहा, क्या वह माननीय सुप्रीम कोर्ट की मर्यादा के विपरीत आचरण नहीं है?