लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शहरों के नाम बदले जाने पर निशाना साधते हुये बुधवार को कहा कि वर्तमान सरकार में विकास कार्य रुके पड़े हैं केवल नाम बदले जा रहे हैं. यहीं नहीं प्रदेश सरकार में सहयोगी दल के मंत्री भी नाम बदलने को लेकर अपनी ही सरकार पर निशाना साध रहे है. अखिलेश ने ट्वीट किया कि 'बंद पड़े हैं सारे काम, बिखरा पड़ा सब सामान, तरक्की के रुके रस्ते, बदल रहे बस नाम.' उन्होंने अधूरे पड़े कुछ विकास कार्यों की फोटो भी ट्विटर पर डाली है.
वहीं प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और प्रदेश के कबीना मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने नाम में बदलाव को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि नाम बदलने को लेकर खर्च की जा रही धनराशि जन कल्याण से जुड़ी योजनाओं पर खर्च की जाती तो हालात बदल जाते.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में दिव्यांग जन सशक्तिकरण मंत्री राजभर ने ट्वीट के जरिये योगी सरकार पर तीखा हमला किया. उन्होंने कहा,"भारत गंगा जमुनी तहजीब पर बना है, जितना खर्च नाम बदलने पर हो रहा है , उतना खर्च करके शिक्षा, रोजगार,स्वास्थ्य तथा गरीबों के कल्याण में तेजी लायी जाती तो भारत देश का नक्शा कुछ और होता."
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उन्होंने ट्वीट के अंत में लिखा,"दिवाली में अली बसे, राम बसे रमजान, ऐसा होना चाहिये अपना हिंदुस्तान." उन्होंने फैजाबाद और इलाहाबाद का नाम बदले जाने की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ बीजेपी को अपने प्रमुख मुस्लिम नेताओं के नाम भी बदल देने चाहिये.
राजभर ने कहा कि योगी सरकार ने फैजाबाद और इलाहाबाद जिलों के नाम यह कहते हुए बदल दिये कि उनका नामकरण मुगलों ने किया था. बीजेपी में शाहनवाज हुसैन हैं, जो पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. मुख्तार अब्बास नकवी केन्द्रीय मंत्री हैं और उत्तर प्रदेश में मोहसिन रजा मंत्री हैं. सबसे पहले इन सबके नाम बदले जाने चाहिये.
उन्होंने कहा कि ग्रांड ट्रंक रोड को मुस्लिम शासक शेरशाह सूरी ने बनवाया था, तो उसे भी उखाड़ दिया जाना चाहिये. बीजेपी लोगों को उस पर चलने से क्यों नहीं रोकती. लाल किला और ताजमहल किसने बनवाया, क्या इन इमारतों को भी जमींदोज किया जाएगा.
नाम बदलने को लेकर कैबिनेट मंत्री राजभर ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधा
इससे पहले अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि सरकार शहरों का नाम बदल कर उसका श्रेय ले रही है. उन्होंने कहा था,"राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से प्रयाग कुंभ का नाम किया था और आज के शासक केवल प्रयागराज नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते है, इन्होंने तो अर्ध कुंभ का नाम बदलकर भी कुंभ कर दिया है, यह परम्परा और आस्था के साथ खिलवाड है."
गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किए जाने को चुनौती देने के मामले में राज्य और केंद्र सरकार से सोमवार को जवाब मांगा. अदालत ने जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय देते हुए अगली सुनवाई 19 नवम्बर को नियत की है.