लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी कैदियों की अदालत में पेशी की कार्यवाही को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कराने के निर्देश देते हुए कहा है कि इसके लिये जरूरत पड़ने पर कानून में बदलाव भी किया जाए.


योगी ने मंगलवार रात कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि कैदियों की शत-प्रतिशत रिमांड वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराई जाए. इसके लिए अगर कानून में संशोधन कराना जरूरी हो, तो किया जाए.


उन्होंने कहा, ‘‘उस संशोधन को कराकर कैदियों की पेशी की कार्यवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कराई जाए. इससे कैदियों को बाहर ले जाने की जरूरत नहीं होगी और वे बाहरी लोगों के सम्पर्क में नहीं आ सकेंगे.' मुख्यमंत्री का यह आदेश पिछले महीने सम्भल में कैदियों को पेशी पर ले जाते वक्त दो पुलिसकर्मियों की हत्या करके तीन कैदियों को छुड़ा ले जाने और पूर्व में पेशी के लिए लाये गये कैदियों के फरार होने जाने की घटनाओं के मद्देनजर महत्वपूर्ण माना जा सकता है.


मुख्यमंत्री ने कहा कि कारागारों में सीसीटीवी कैमरा और अन्य आवश्यक उपकरण जल्द लगाये जाए और जेलों से संचालित की जा रही अवैध गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगायी जाए. शातिर अपराधियों के साथ किसी भी प्रकार की रियायत न बरती जाए.


उन्होंने प्रदेश के विभिन्न कारागारों की व्यवस्था और कार्य प्रणाली के संबंध में नियमित निरीक्षण किये जाने के निर्देश भी दिए.


बता दें कि उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के एक महीने बाद जब सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह घोषणा की थी, "अगर अपराध करोगे तो ठोक दिए जाएंगे", शायद इसे कुछ लोगों ने गंभीरता से ले लिया है. पिछले तीन दशकों में, राज्य में अपराध और राजनीति अविभाज्य हो गई थी और अपराधियों के नेताओं के साथ संबंध केवल मजबूत हुए.

जनवरी में योगी ने गर्व से पत्रकारों को बताया था कि उनके कार्यकाल में तीन हजार के करीब एनकाउंटर हुए हैं, जिनमें 69 अपराधियों को पुलिस ने मार गिराया, मुठभेड़ में 838 घायल हुए और 7,043 को गिरफ्तार किया गया.

इसके अलावा सरकार के दो साल पूरा करने के दौरान 11,981 अपराधियों ने अपनी जमानत रद्द करवाई और कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण किया.

लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री की 'ठोको नीति' का विपक्ष ने खूब मजाक बनाया, लेकिन आलोचकों की बात से योगी को कोई असर नहीं हुआ.