उन्नाव कांड से जुड़े सभी मुकदमे दिल्ली ट्रांसफर, SC ने 45 दिन में सुनवाई पूरी करने को कहा
इस मामले में सीजेआई ने बड़ा आदेश दिया है. सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए सभी मुकदमों को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया है. कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि एक जज की अदालत में सभी मामलों की सुनवाई होगी.
नई दिल्ली: उन्नाव रेप मामले से जुड़े सभी 5 केस सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली ट्रांसफर कर दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली की निचली अदालत में पांचों केस की सुनवाई एक ही जज करेगा.सुनवाई शुरू होने के 45 दिन के भीतर इसे निपटाया जाएगा. कोर्ट ने CBI को पीड़िता के साथ हुए रायबरेली में हुए एक्सीडेंट की जांच अधिकतम 2 हफ्ते में पूरी करने को कहा है.
कौन से 5 केस हुए ट्रांसफर
* पहला केस पीड़िता के साथ बलात्कार का है। इसी मामले में विधायक कुलदीप सेंगर जेल में है.
* दूसरा केस पीड़िता के पिता पर अवैध हथियार रखने के आरोप का है. CBI का कहना है कि अब तक हुई जांच में ये मामला झूठा लग रहा है. इसी केस में पुलिस हिरासत में रहते पीड़िता के पिता की पिटाई से मौत हुई थी.
* तीसरा केस हत्या का है. इसे पीड़िता की मां ने दर्ज कराया है. उन्होंने हिरासत में पिटाई से हुए अपने पति की मौत को जानबूझकर की गई हत्या बताया है. सेंगर से जुड़े लोग इस केस में आरोपी हैं.
* चौथा केस गैंगरेप का है. आरोप है कि सेंगर के रिश्तेदारों और उससे जुड़े कुछ लोगों ने 2017 में पीड़िता के साथ एक बार फिर बलात्कार किया.
* पांचवां केस 28 जुलाई को रायबरेली में हुई संदिग्ध दुर्घटना का है, जिसमें पीड़िता के कुछ रिश्तेदारों की मौत हो गई. खुद पीड़िता और उसके वकील गंभीर रूप से घायल हुए. इस मामले में भी हत्या और हत्या के प्रयास की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है. इसकी जांच भी CBI को सौंप दी गई है.
कोर्ट का सख्त रुख
पीड़िता के साथ हुई दुर्घटना के बाद ये बात सामने आई थी कि उसकी तरफ से 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को एक चिट्ठी लिखी गई थी. इस चिट्ठी में अब बीजेपी से निकाले जा चुके विधायक कुलदीप सेंगर से पूरे परिवार की सुरक्षा को खतरा बताया गया था. लेकिन कोर्ट तक पहुंची ये चिट्ठी चीफ जस्टिस के कार्यालय में नहीं पहुंची. जानकारी मिलने पर चीफ जस्टिस ने इसे गंभीरता से लिया और मामले को सुनवाई के लिए लगा दिया. कोर्ट ने सख्त रुख दिखाते हुए सभी मुकदमे दिल्ली ट्रांसफर कर दिए. हाल में हुई दुर्घटना की भी जांच के लिए CBI को ज़्यादा वक्त देने से मना कर दिया.
पीड़िता को मुआवजा और सुरक्षा
सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता, उसके वकील और परिवार को तुरंत सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) सुरक्षा का ज़िम्मा संभाले. इसके साथ ही कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि वो पीड़िता को 25 लाख रुपए का अंतरिम मुआवजा दे.
घायलों को शिफ्ट करने पर आदेश कल
कोर्ट ने गंभीर रूप से घायल पीड़िता और उसके वकील के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए रिपोर्ट मांगी थी कि क्या उन्हें बेहतर इलाज के लिए लखनऊ से बाहर शिफ्ट किया जा सकता है. किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में दोनों का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने रिपोर्ट दी है कि दोनों को उचित इलाज मिल रहा है. फिर भी अगर उनका परिवार और कोर्ट चाहे तो उन्हें कहीं और भेजा जा सकता है. इसमें कोई खतरा नहीं है. कोर्ट ने दोनों को दिल्ली के एम्स शिफ्ट करने का संकेत देते हुए, उनके परिवार से राय मांगी है. इस मसले पर कल सुनवाई होगी.
चिट्ठी भेजने में हुई देरी की जांच
पूरी सुनवाई के दौरान कोर्ट का रुख देख कर साफ लग रहा था कि उसे भी पीड़ित परिवार की चिट्ठी का समय पर संज्ञान न ले पाने का अफसोस है. कोर्ट ने इस मसले की भी जांच का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा, "पीड़ित परिवार की चिट्ठी चीफ जस्टिस के पास भेजने में हुई देरी की जांच हम रजिस्ट्रार जनरल को सौंपते हैं. वो ये देखें कि कहां कमी रही. इस जांच की निगरानी कोर्ट के एक मौजूदा जज करेंगे."
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