लखनऊ: बिहार के नए राज्यपाल लालजी टंडन को लोग अटल बिहारी वाजपेयी के सहयोगी के रूप में जानते हैं. एक सभासद से राजनैतिक सफ़र शुरू करने वाले टंडन यूपी में कैबिनेट मंत्री भी रहे. 83 साल के टंडन को दुख है कि अब लखनऊ उनसे छूट जायेगा. वे लखनऊ के सभासद, विधायक से लेकर सांसद तक बने. चाट,लस्सी और गोल गप्पे के शौक़ीन टंडन की चाय पार्टी बड़ी मशहूर है. लालजी टंडन बीएसपी सुप्रीमो मायावती के राखी भाई भी रहे हैं. जब यूपी में बीजेपी और बीएसपी की मिली जुली सरकार थी, टंडन मंत्री हुआ करते थे. उस दौरान मायावती उन्हें राखी बांधती थी. लेकिन भाई बहन का ये रिश्ता कुछ ही महीनों तक रहा.


लालजी टंडन अपने बेटे आशुतोष टंडन के सरकारी बंगले पर ड्रॉइंग रूम में बैठे थे. जब उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाये जाने की ख़बर मिली. टीवी ऑन किया तो वहां भी यही ख़बर चल रही थी. इसी दौरान उनके मोबाइल फ़ोन घनघनाने लगे. उन्हें सबसे पहले बेटे आशुतोष ने बधाई दी. आशुतोष यूपी के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हैं. थोड़ी ही देर में ग्रामीण विकास मंत्री महेन्द्र सिंह भी बधाई देने पहुंच गए. देखते ही देखते टंडन को बधाई देने वालों का तांता लग गया.


सत्यपाल मलिक J&K और लालजी टंडन बिहार के नए राज्यपाल बने


मंत्री,विधायक,बीजेपी नेता और लखनऊ शहर के उनके पुराने मित्र. इसी बीच यूपी के सीनियर आईएएस अफ़सर नवनीत सहगल भी पहुंच गए. राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी लालजी टंडन को राज्यपाल बनाये जाने पर बधाई दी. टंडन ने कहा कि अटल जी के आशीर्वाद से वे अपनी नई ज़िम्मेदारी संभालेंगे, लेकिन उन्हें इस बात का अफ़सोस है कि बीजेपी से सालों पुराना उनका रिश्ता टूट जायेगा. उनका अपना शहर लखनऊ अब उनसे छूट जायेगा.


83 साल के लालजी टंडन यूपी में बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे. 1978 से लेकर 1996 तक वे लगातार एमएलसी रहे. फिर वे लखनऊ से विधायक चुने गए. 2009 तक वे लगातार तीन बार एमएलए रहे. अटल बिहारी वाजपेयी के बाद वे 2009 में लखनऊ से लोकसभा के सांसद बने. मायावती सरकार में वे नगर विकास मंत्री रहे. 2014 में भी टंडन यहां से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन बीजेपी ने उनके बदले राजनाथ सिंह को टिकट दे दिया. तब से ही टंडन सक्रिय राजनीति से दूर हो गए. नरेन्द्र मोदी के पीएम बनने के बाद कई बार उन्हें राज्यपाल बनाने की चर्चा हुई, लेकिन हर बार ये ख़बर झूठी ही निकली. आख़िरकार अब उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया है. जब तक अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ के सांसद रहे, लालजी टंडन की बीजेपी में ख़ूब चली.


अटल जी उन्हें बहुत मानते थे. लखनऊ के दौरे में टंडन हमेशा अटल ज़ी के साथ रहा करते थे. उनके खाने पीने से लेकर ठहरने और उनका चुनाव प्रबंधन सब टंडन ही देखा करते थे. अटल जी के लिए टंडन के घर से ही खाना जाता था. साड़ी कांड को लेकर मंत्री रहते हुए लालजी टंडन की बड़ी किरकिरी हुई थी. ये बात साल 2004 की है. उनके जन्म दिन पर ग़रीबों में साडियां बांटने का कार्यक्रम था. ख़ुद टंडन महिलाओं को साड़ी दे रहे थे. इसी दौरान भगदड़ मच गई. 21 लोगों की जान चली गई थी. उन दिनों अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे. विवादों के बीच उन्हें भी लखनऊ का दौरा करना पड़ा. लालजी टंडन कहते हैं बिहार के सीएम नीतीश कुमार उनके पुराने मित्र हैं. दोनों एक दूसरे को पहले से जानते हैं. टंडन ने ये भी कहा कि बिहार उनके लिए नया नहीं है.


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