यूपी: सहारनपुर में फिर दलित युवकों पर हमला, ADG-IG समेत 6 अफसरों को मौके पर रवाना होने के आदेश
कैसे शुरू हुई सहारनपुर में हिंसा
5 मई से दलितों और ठाकुरों के बीच शुरू हुई तनातनी
सहरानपुर दलित और ठाकुरों के बीच हिंसा को लेकर चर्चा में हैं. 5 मई को शब्बीरपुर के पास गांव सिमराना में महारणा प्रताम की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन था. सिमराना गांव जाने के लिए शब्बीरपुर गांव के ठाकुर महाराणा प्रताप शोभायात्रा औऱ जुलूस निकाले. दलित समाज के लोगों ने विरोध किया और जूलूस निकलने नही दिया. यहां से बात बिगड़ी और शब्बीरपुर में दलितों और ठाकुरों के बीच हुई तनातनी ने उग्र रूप धारण कर लिया . इसके चलते दोनों पक्षों के बीच पथराव, गोलीबारी और आगजनी भी हुई. इस दौरान एक युवक की पत्थर लगने से मौत हो गई जबकि लगभग एक दर्जन लोग घायल हो गए थे. जिसके बाद क्षत्रिय समाज के लोगो ने दलितो के घरो को तहस नहस कर दिया. कई लोगो को मारपीट कर घायल कर किया.
दरअसल जूलूस निकलने न देने की वजह एक और विवाद भी था जो मूर्ती को लेकर था. दरअसल शब्बीरपुर गांव के दलित प्रधान अंबेडकर की मुर्ति लागाना चाहते थे लेकिन क्षत्रिय समाज ने इसका विरोध किया जिसके बाद से तना तनी बढ़ गई.
सहारनपुर में दलित समझकर प्रजापति समाज के दो लोगों पर हमला, एक को मारी गोली
9 मई को फिर भड़की हिंसा
दलित समाज ने घरों मे तोड़फोड और मारपीट को लेकर सहारनपुर शहर मे एक कार्यक्रम रखा था. भीम आर्मी ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम को प्रशासन ने इजाजत नही दी और होने नही दिया. इस कार्यक्रम मे आने वाले लोग शहर चारों तरफ इकठ्ठा हो गए और जाम लगा दिया, पथराव किया और बसों और गाड़ियों मे आग लगा दी. इस मामले में भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर सहित कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. इसके बाद से लगातार प्रदर्शन किया गया जगह जगह पर धर्म परिवर्तन का भी एलान किया गया.
इसके बाद क्या हुआ
जंतर मंतर पर दलितों का बड़ा प्रदर्शन
सहारनपुर की घटना की आंच दिल्ली तक पहुंची. 21 मई को जातीय हिंसा के विरोध में दिल्ली के जंतर मंतर पर दलितों की भीम आर्मी ने बड़ा प्रदर्शन किया था. इस मामले में मुरादाबाद में भी दलितों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को काले झंडे दिखाएं थे. दलितों की मांग थी कि जिन दलितों पर गलत ढ़ंग से केस दर्ज किए गए हैं वे वापस लिए जाएं और हिंसा की निष्पक्ष जांच की जाए.
अब क्या हो रहा है
मायावती ने किया सहारनपुर का दौरा
बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने कल सहारनपुर के उस गांव का दौरा किया, जहां पिछले दिनों दलित समाज के लोगों के घर जलाए गए थे. इस दौरान बीएसपी प्रमुख मायावती ने योगी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया और लोगों से हिंसा न करने की अपील की. मायावती के दौरे के बाद दलित युवकों पर हमला हुआ है. जिसमें आशीष नाम के एक युवक की मौत हो गई. कल फिर दो समुदायों के बीच हुई हिंसा के आरोप में 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के मुताबिक, मायावती की सभा से 5-6 दलित गाड़ी में सवार होकर लौट रहे थे. आरोप है कि तभी उन पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया. एक की गोली मारकर हत्या कर दी गई. जबकि बाकियों को तलवार से मारकर घायल कर दिया गया.
हरकत में योगी सरकार
योगी सरकार ने मृतक आशीष के परिजनों को 15 लाख और सभी घायलों को 50-50 हजार रुपये आर्थिक सहायता के रूप में दिए जाने की घोषणा की है. राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि छह वरिष्ठ अधिकारियों के दल को जल्द ही सहारनपुर पहुंचने का निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ये अधिकारी शांति बहाली सुनिश्चित करेंगे. इस दल में गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्रा, अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) आदित्य मिश्रा, महानिरीक्षक एसटीएफ अमिताभ यश और डीजी (सुरक्षा) विजय भूषण शामिल हैं.
21 अप्रैल को भी हुई थी दो पक्षों में तनातनी
सहारनपुर के दलित औऱ मुस्लिमों के गांव दुधली में पहले आंबेडकर औऱ रविदास जयंती पर शोभायात्रा निकाली जाती थी. लेकिन मुस्लिमों के विरोध के बाद यहां सात साल से शोभायात्रा निकालने की इजाजत नहीं थी. योगी सरकार आने के बाद हिंदू संगठनों ने 14 अप्रैल को शोभायात्रा निकालने की इजाजत मांगी थी. जिसे प्रशासन ने नामंजूर कर दिया. बिना इजाजत के कल जुलूस निकला और जब ये मुस्लिम इलाके से गुजरा तो पथराव हो गया, जिससे हालात बिगड़ गए.