इलाहाबाद: जंग-ए-आजादी में देश की खातिर अपनी जान की कुर्बानी देने वाले अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद के शहादत स्थल पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों को अब अपनी जेब ढीली करनी होगी. इलाहाबाद में आज़ाद के शहादत स्थल पर इंट्री के लिए कल से पांच रूपये का टिकट लगा दिया गया है. टिकट के बिना किसी को भी आज़ाद के शहादत स्थल पर जाने की इजाजत नहीं है.


हाईकोर्ट के एक फैसले की दुहाई देकर बचाव करने की कोशिश में है यूपी सरकार


इलाहाबाद के लोग अखिलेश सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि शहादत स्थल पर श्रद्धांजलि देने वालों से टिकट के बदले पैसे वसूलने का फैसला शहीद का अपमान है. विवाद बढ़ने पर यूपी सरकार अब हाईकोर्ट के एक फैसले की दुहाई देकर अपना बचाव करने की कोशिश में है. अगर आपकी जेब में पैसे नहीं हैं तो आप इलाहाबाद में अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद की शहादत स्थल पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि नहीं दे सकते. इतना ही नहीं पैसों के बिना आप आज़ाद की आदमकद प्रतिमा के सामने उन्हें नमन भी नहीं कर सकते. सुनने में यह फैसला भले ही अटपटा लगता हो, लेकिन है सौ फीसदी सच.



इलाहाबाद में 27 फरवरी 1931 को चंद्रशेखर आज़ाद ने अंग्रेजों से मुठभेड़ के दौरान जिस जगह खुद को गोली मार ली थी, उसे आज़ाद के शहादत स्थल के रूप में जाना जाता है. यहाँ आज़ाद की आदमकद प्रतिमा लगाई गई है और जगह को आज़ाद पार्क का नाम दिया गया है. यहां देश ही नहीं दुनिया के कोने - कोने से रोजाना हजारों की तादात में लोग आते हैं और आज़ाद की प्रतिमा पर फूल चढ़ाकर उन्हें नमन करते हैं और श्रद्धांजलि देते हुए उनके बलिदान को याद करते हैं. लेकिन अखिलेश सरकार ने इस शहादत स्थली पर जाने के लिए अब इंट्री टिकट ज़रूरी कर दिया है.


सरकार के इस फैसले को शहीद का अपमान बता रहे हैं इलाहाबाद के लोग


टिकट की कीमत सिर्फ पांच रूपये रखी गई है, लेकिन सरकार का यह फैसला विवादों में घिर गया है. इलाहाबाद के लोग सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि शहीद के शहादत स्थल पर जाकर उसे श्रद्धांजलि देने वालों से पैसे वसूलना पूरी तरह गलत है. लोगों का मानना है कि पैसे की कमी को दूर करने के लिए चंदा तो लिया जा सकता है, लेकिन टिकट लगाकर जबरन वसूली कतई नहीं की सकती है. इलाहाबाद के लोग सरकार के इस फैसले को शहीद का अपमान बता रहे हैं.


दूसरी तरफ यूपी सरकार का कहना है कि उसने शहादत स्थल समेत पूरे आज़ाद पार्क के सौंदर्यीकरण के लिए तेईस करोड़ रूपये खर्च कर दिए हैं. पैसों की कमी की वजह से अब आगे का रख- रखाव व सुरक्षा मुहैया करा पाना मुमकिन नहीं हो रहा है. ऐसे में मजबूरी में टिकट लगाने का फैसला करना पड़ा है. हालांकि टिकट लगाने के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल केस में यूपी सरकार को थोड़ी राहत मिल गई है. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने टिकट लगाने के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. सरकार इसे अपने पक्ष में आया फैसला बता रही है. दलील दी जा रही है कि रख रखाव और सुरक्षा इंतजाम के लिए टिकट बेचने का फैसला बेहद ज़रूरी था क्योंकि इसके लिए अलग से बजट का कोई इंतजाम नहीं हो पा रहा था.


शहादत स्थल के लिए थोड़े से बजट का इंतजाम न करना बेहद शर्मनाक


चंद्रशेखर आजाद के शहादत स्थल पर टिकट लगाने के फैसले पर आने वाले दिनों में विवाद खड़ा हो सकता है. लोगों का कहना है कि अगर टिकट लगाना बेहद ज़रूरी था तो भी आज़ाद के शहादत स्थल पर बेरीकेडिंग कराकर उसे टिकट फ्री कर देना चाहिए था. कुछ लोगों ने इस मुद्दे को फिर से कोर्ट में ले जाने की धमकी भी दी है. लोगों का कहना है कि सैफई महोत्सव में नाच गाने के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च करने वाली सरकार द्वारा चंद्रशेखर आज़ाद जैसे शहीदों की शहादत स्थल के लिए थोड़े से बजट का इंतजाम न करना बेहद शर्मनाक है.