इलाहाबाद यूनिवर्सिटी: कर्मचारियों की हड़ताल से दांव पर है 35 हजार छात्रों का भविष्य
इलाहाबाद: पूरब का ऑक्सफोर्ड कही जाने वाली इलाहाबाद सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी के डेढ़ हजार से ज्यादा कर्मचारी पिछले आठ दिनों से अपना काम- काज ठप्प कर बेमियादी हड़ताल पर हैं. कर्मचारियों की यह हड़ताल वाइस चांसलर को हटाए जाने व अपनी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जाने समेत कई दूसरी मांगों को लेकर है. हड़ताल के चलते कैम्पस में हर तरफ ताले लटके हुए हैं. हड़ताल के चलते सोलह मार्च से शुरू होने वाले इम्तहान भी अधर में लटके नजर आ रहे हैं क्योंकि हड़ताल की वजह से अभी तक पैंतीस हजार स्टूडेंट्स के एडमिट कार्ड तक नहीं बंटे हैं. हड़ताली कर्मचारियों की दलील है कि इम्तहान से ज़्यादा ज़रूरी उनका आंदोलन है और वह इम्तहान की फ़िक्र किये बिना अपना आंदोलन जारी रखेंगे.
दस सूत्रीय मांगों को लेकर बेमियादी हड़ताल पर हैं कर्मचारी
कभी मानव श्रृंखला बनाकर तो कभी जुलूस निकालकर प्रदर्शन- नारेबाजी और सभा करते इलाहाबाद सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी के डेढ़ हजार से ज्यादा कर्मचारी इन दिनों अपनी दस सूत्रीय मांगों को लेकर बेमियादी हड़ताल पर हैं. कर्मचारियों की हड़ताल के चलते न तो क्लासरूम्स के ताले खुल रहे हैं और न ही एडमिट कार्ड, फीस औऱ डिग्रियां बांटने के काउंटर खुल रहे हैं.
कर्मचारियों का कहना है कि सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलने के कुछ सालों बाद से ही उन्हें न तो प्रमोशन दिया गया है और न ही खाली पदों पर भर्ती की जा रही है. मृतक आश्रित कोटे में भी नौकरी नहीं दी जा रही है और न ही उनके लिए ग्रीवांस सेल का गठन किया गया है. वाइस चांसलर उनकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं हैं, लिहाजा इस बार उन्होंने सीधे तौर पर वीसी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
छात्रों के इम्तहान से ज़्यादा अपने आंदोलन की फ़िक्र
हड़ताली कर्मचारियों का कहना है कि वीसी को हटाए नहीं जाने तक वह अपना आंदोलन कतई ख़त्म नहीं करेंगे और इसी तरह हड़ताल पर बने रहेंगे. कर्मचारियों की दलील है कि अगर उनकी हड़ताल के चलते सोलह इम्तहान से शुरू हो रहे सालाना इम्तहान भी टालने पड़ जाएं तो भी उन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. कर्मचारियों के मुताबिक़ उन्हें छात्रों के इम्तहान से ज़्यादा अपने आंदोलन की फ़िक्र है.
आठ दिनों से चल रही कर्मचारियों की इस हड़ताल का सीधा असर अब छात्रों पर पड़ने लगा है. सोलह मार्च से सालाना इम्तहान शुरू होने हैं, लेकिन अभी तक न तो छात्रों को एडमिट कार्ड दिए गए हैं और न ही सीटिंग अरेंजमेंट तैयार हो सका है. क्लासरूम और लाइब्रेरी में भी ताले लटके हुए हैं तो साथ ही प्रैक्टिकल इम्तहान भी नहीं हो पा रहे हैं. छात्र इससे मायूस हैं और वह यूनिवर्सिटी प्रशासन से इस हड़ताल को जल्द ख़त्म किये जाने की मांग कर रहे हैं.
खतरे में 35,000 स्टूडेंट्स का भविष्य कर्मचारियों को इस बेमियादी हड़ताल का कितना फायदा मिलेगा, इसका फैसला तो वक्त ही करेगा, लेकिन हड़ताल का खामियाजा बेक़सूर छात्रों को जरूर भुगतना पड़ रहा है. कर्मचारियों की यह हड़ताल कब ख़त्म होगी, इस बारे में किसी को कुछ भी नहीं पता, लिहाजा छात्रों के पास इंतजार के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है. कर्मचारियों की हड़ताल के चलते इम्तहान टलना अब लगभग तय हो गया है और इससे पैंतीस हजार स्टूडेंट्स का भविष्य खतरे में पड़ता नजर आ रहा है.