प्रयागराज. कोरोना महामारी के बीच इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी को खोल दिया गया है. हालांकि, अभी क्लासेस नहीं चलेगी, फिर भी यूनिवर्सिटी प्रशासन का यह फैसला सवालों के घेरे में है. शिक्षकों और कर्मचारियों ने यूनिवर्सिटी खोले जाने के फैसले पर एतराज जताते हुए इससे बड़े पैमाने पर संक्रमण फैलने की आशंका जताई है. यह फैसला इसलिए भी सवालों के घेरे में है क्योंकि हर साल गर्मी की छुट्टियों के बाद यूनिवर्सिटी 8 जुलाई से खुलती थी. इस बार कोरोना की महामारी है, ऐसे में यूनिवर्सिटी को दो हफ्ते पहले खोलने को लेकर विवाद खड़ा होता दिख रहा है.


यूनिवर्सिटी को खोलने के लेकर विवाद इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि यूनिवर्सिटी को खोलने के बाद एक टीचर, लाइब्रेरियन और रिसर्च स्कॉलर समेत पांच लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. वाइस चांसलर समेत तमाम टीचर्स और स्टूडेंट भी इनसे मिलने की वजह से संदिग्धों की सूची में हैं. अभी तक इनका मेडिकल टेस्ट भी नहीं हो सका है. पूरे देश में जहां शिक्षण संस्थाओं को बंद रखा जा रहा है, वहीं सेंट्रल यूनिवर्सिटी को खोलने का फैसला समझ से परे है.



शिक्षकों ने भी यह आशंका जताई है कि इससे उनकी जिंदगी खतरे में पड़ सकती है. सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि जब क्लास नहीं चलनी. एडमिशन अभी नहीं हो रहे हैं तो बिना प्रशासनिक काम वाले सभी शिक्षकों व कर्मचारियों को आखिर बुलाया क्यों जा रहा है. यूनिवर्सिटी में अभी स्थाई कुलपति नहीं है. यह फैसला कार्यवाहक कुलपति आरआर तिवारी ने लिया है. यूनिवर्सिटी के साथ ही इससे जुड़े सभी डिग्री कॉलेजों को भी खोल दिया गया है.


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