मूर्ति को पूरे आदर और सम्मान के साथ उसके मूल स्थान से 30 मीटर दूर स्थानांतरित कर दिया गया है.
बता दें कि पंडित नेहरू की मूर्ति पर रस्सी और बोरियां बांधकर क्रेन के जरिये हटाया गया जिसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हंगामा शुरू कर दिया था. कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नाराज़गी नेहरू के मूर्तिस्थल को जूते और चप्पल पहने हुए मजदूरों से तोड़वाए जाने पर ज़्यादा रही थी.
हटाई गई पंडित नेहरू की मूर्ति साल 1995 में लगाई गई थी, जिसका उदघाटन तत्कालीन गवर्नर मोतीलाल बोरा ने किया था. पंडित दीन दयाल उपाध्याय की मूर्ति साल 1991 में लगाई गई थी, जिसके उद्घाटन समारोह में यूपी के तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. मुरली मनोहर जोशी और नेता बीजेपी संसदीय दल लाल कृष्ण आडवाणी ने किया था. पंडित नेहरू की हटाई गई मूर्ति को शाम को पड़ोस में ही एक जगह पर शिफ्ट कर दिया गया.
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने क्रेन को रोककर योगी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और उस पर बदले की भावना और भेदभाव के साथ काम करने का आरोप लगाया. हंगामा करने वाले कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बीजेपी की सरकारें महापुरुषों की मूर्तियों का लगातार अपमान कर रही है. इलाहाबाद में आनंद भवन के बाहर से नेहरू की मूर्ति को अपमानजनक तरीके से हटाया जाना एक विचारधारा को ख़त्म किये जाने की साजिश है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसके खिलाफ शुक्रवार से आंदोलन की शुरुआत की जाएगी.