लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि महज दूसरी शादी करने के मकसद से धर्म परिवर्तन कर शादी करना अवैध है. अदालत के फैसले के मुताबिक़ ऐसी शादी का कानून में कोई विधिक महत्व नहीं है.

हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते अपने फैसले में कहा है कि पहली शादी से तलाक हुए बिना दूसरी शादी करना गलत और अवैध है. कोर्ट ने शादीशुदा महिला की तरफ से धर्म परिवर्तन कर विवाह कर लेने को गलत मानते हुए याची महिला और उसके कथित पति अशरफ की अर्जी को खारिज कर दिया है और उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आदेश से इंकार भी कर दिया है.

यह आदेश जस्टिस एम.सी.त्रिपाठी की बेंच ने खुशबू बेगम उर्फ खुशबू तिवारी और उसके कथित पति अशरफ की याचिका को खारिज करते हुए दिया है. मामले के अनुसार याचिनी खुशबू तिवारी एक शादीशुदा महिला है. उसकी शादी तीस नवम्बर साल 2016 को हुई थी. बाद में इस महिला ने धर्म परिवर्तन कर अपना नाम खुशबू बेगम कर लिया और गांव जमुनीपुर थाना बरसठी जिला जौनपुर के अशरफ से शादी कर ली.

याचिका दायर कर दोनों का कहना था कि वे बालिग हैं और उन्होंने अपनी मर्जी से शादी की है. उनका कहना था कि महिला के घर वाले शादी से नाराज है और इस कारण उनके जानमाल को खतरा है. इन्होने अदालत से अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी और साथ ही कहा था कि कोर्ट उनके जानमाल की सुरक्षा करने का प्रशासन को आदेश दे.

यूपी सरकार की तरफ से इस अर्जी का विरोध किया गया और कहा गया कि इन दोनों के खिलाफ थाना-बरसठी जौनपुर में आईपीसी की धारा 498 के तहत केस दर्ज है. कोर्ट के नूरजहां बेगम उर्फ अंजलि मिश्रा केस का हवाला देते हुए याचीगण के शादी को शून्य करार दिया और उनकी सुरक्षा की मांग को भी खारिज कर दिया.