प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए समूचे यूपी में डीजे बजाए जाने पर पाबंदी लगा दी है. अदालत ने सूबे में जिलाधिकारियों व मजिस्ट्रेटों द्वारा डीजे बजाने की मंजूरी दिए जाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है और यूपी सरकार से इस पर सख्ती से अमल करने को कहा है. इतना ही नहीं अदालत ने सख्त रवैया अपनाते हुए यूपी सरकार से डीजे बजाने वालों पर एक लाख रूपये का जुर्माना लगाने व पांच साल तक की कैद की सज़ा का नियम बनाने का भी आदेश दिया है.
अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि डीजे बजने पर संबंधित थाना प्रभारियों की जवाबदेही होगी. इस बारे में शिकायत करने वालों की पहचान सार्वजनिक नहीं की जाएगी. इतना ही नहीं ईमेल और व्हाट्सएप्प के साथ ही मोबाइल पर भेजे गए एसएमएस के ज़रिये भी शिकायत की जा सकेगी. अदालत ने ध्वनि प्रदूषण की शिकायत के लिए एक टोलफ्री नंबर भी जारी करने को कहा है.
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस आदेश का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ अदालत की अवमानना का केस चलाया जाएगा. अदालत ने माना है कि कई एम्प्लीफायर व साउंड बॉक्स होने की वजह से डीजे बजने पर ध्वनि प्रदूषण के मानकों का पालन नहीं हो सकेगा.
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इसी आधार पर डीजे बजाए जाने और इसकी मंजूरी दिए जाने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है. अदालत के फैसले के मुताबिक़ त्यौहारों पर लाउडस्पीकर भी सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक़ ही बजेंगे और जिलों के डीएम व पुलिस कप्तान इस पर निगरानी रखेंगे.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि डीजे बजने से बच्चों - बुजुर्गों व हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और यह सभी इंसानों की सेहत के लिए खतरे का सबब बनता है. अदालत ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा है कि ध्वनि प्रदूषण होने से नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन होता है. कोर्ट ने यूपी के सभी डीएम को डीजे पर पाबंदी समेत ध्वनि प्रदूषण रोकने व दोषियों की धर -पकड़ कर उनके खिलाफ कार्रवाई किये जाने के लिए डिस्ट्रिक्ट लेवल पर टीमें गठित किये जाने का भी आदेश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की डिवीजन बेंच ने प्रयागराज के हाशिमपुर इलाके में रहने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील सुशील चन्द्र श्रीवास्तव व अन्य की अर्जी पर सुनवाई के बाद दिया है.
पांच साल की कैद, एक लाख जुर्माना
कोर्ट ने कहा है कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून का उल्लंघन नागरिको के मूल अधिकारों का उल्लंघन होगा, इसलिए सभी धार्मिक त्यौहारों से पहले जिलाधिकारी व पुलिस कप्तान बैठक कर कानून का पालन सुनिश्चित कराए. कानून का उल्लंघन करने पर पांच साल तक की कैद व एक लाख रूपये तक का जुर्माना लगाया जाना चाहिए. कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून के तहत अपराध की एफआईआऱ दर्ज की जाए. कानून का पालन कराने की जिम्मेदारी सभी संबंधित थाना प्रभारियों की होगी. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह प्रदेश के सभी शहरी एरिया को औद्योगिक, व्यवसायिक - रिहायशी या साइलेन्स जोन के रूप में श्रेणीबद्ध करे.
कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को ध्वनि प्रदूषण की शिकायत सुनने के अधिकारी से सम्पर्क फोन नम्बर सहित पूरा ब्यौरा सार्वजनिक स्थलों पर सूचना बोर्डों में देने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति ध्वनि प्रदूषण की शिकायत कर सकता है. हर शिकायत रजिस्टर पर दर्ज की जाए और साथ ही कार्रवाई का ब्यौरा भी रखा जाए. कोर्ट ने कहा है कि शिकायत दर्ज होते ही पुलिस मौके पर जाकर ध्वनि प्रदूषण बन्द कराए और सक्षम अधिकारी को रिपोर्ट करे. दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाए. कोर्ट ने कहा है कि आदेश की अवहेलना होने पर कोई भी व्यक्ति कोर्ट में अवमानना याचिका भी दायर कर सकता है.