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बीआरडी के प्रिंसिपल को राहत नहीं, हाईकोर्ट ने कहा- जवाबदेही से नहीं बच सकते
अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि दर्जनों बच्चों की मौत बेहद गंभीर मामला है और प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत की जवाबदेही से नहीं बच सकते. अदालत ने इसी आधार पर उन्हें किसी तरह की राहत देने से इंकार करते हुए उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी है.
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में वहां के प्रिंसिपल डॉ. राजीव मिश्र की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. यह आदेश जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस डीके सिंह की डिवीजन बेंच ने प्रिंसिपल डा. राजीव मिश्र की मिश्र की अर्जी पर सुनवाई के बाद दिया है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि दर्जनों बच्चों की मौत बेहद गंभीर मामला है और प्रिंसिपल मेडिकल कालेज में बच्चों की मौत की जवाबदेही से नहीं बच सकते. अदालत ने इसी आधार पर उन्हें किसी तरह की राहत देने से इंकार करते हुए उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी है.
ऑक्सीजन सप्लाई घटने से हुई थी दर्जनों बच्चों की मौत
गौरतलब है कि गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पिछले साल दस अगस्त को ऑक्सीजन सप्लाई न होने से एक ही दिन में इन्सेफलाइटिस पीड़ित दो दर्जन से ज़्यादा बच्चों की मौत हो गई थी. विवेचना में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सामने आने पर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल सहित कई अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. डॉ. राजीव मिश्र की जमानत के समर्थन में कहा गया कि वह सात माह से जेल में हैं.
बच्चों की मौत के मामले में प्रिंसिपल डॉ. राजीव मिश्र व उनकी पत्नी भी आरोपी
मामले में सह अभियुक्त डॉ. कफील अहमद की जमानत मंजूर हो चुकी है. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में प्रिंसिपल डॉ. राजीव मिश्र व उनकी पत्नी भी आरोपी हैं. उन पर आरोप है कि वह हर बिल में कमीशन लेते थे और बगैर कमीशन के कोई बिल पास नहीं करते थे. आरोपों के मुताबिक़ प्रिंसिपल कमीशन का सारा काम अपनी पत्नी के माध्यम से कराते थे.
बिल पास नहीं होने से कंपनी ने ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी थी
हौम्योपैथिक डॉक्टर पत्नी का पति के प्रशासनिक कार्यों में हस्तक्षेप होने का भी आरोप है. उन्होंने ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का कभी भी समय से बिल पास नहीं किया. कमीशन के फेर में बिल पास नहीं होने से कंपनी ने ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी थी और यह इन्सेफलाइटिस पीड़ित बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण बना.
घटना वाले दिन छुट्टी पर चले गए थे डॉ. राजीव मिश्र
यही नहीं, मामले में आरोपी डॉ. कफील को सबसे जूनियर होने उन्होंने 20 हजार रुपए से अधिक के वित्तीय अधिकार दे दिए. यह भी आरोप है कि घटना वाले दिन डॉ. मिश्र छुट्टी पर चले गए थे. दोनों पक्षों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने जमानत अर्जी खारिज कर दी. मामले में एक अन्य आरोपी डा. कफील को पिछले हफ्ते ही जमानत मिली है और वह जेल से रिहा भी हो चुके हैं.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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