इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तथ्यों के विपरीत मनमाने आदेश देकर 11 साल तक मुकदमे में उलझाये रखने पर राज्य सरकार पर दो लाख का हर्जाना लगाया है तथा एक माह में यह राशि याची को भुगतान करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को छूट दी है कि वह हर्जाना राशि दोषी अधिकारियों से वसूल सकती है.
डिप्टी कमिश्नर के आदेश को भी कर दिया रद्द
कोर्ट ने जमीन के बैनामे में स्टैम्प शुल्क की कमी की वसूली कार्यवाही के तहत याची से ली गयी धनराशि भी आठ फीसदी ब्याज के साथ वापस करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने गोरखपुर में स्टैम्प डिपार्टमेंट के डिप्टी कमिश्नर के 25 जनवरी साल 2013 के आदेश को भी रद्द कर दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी. केसरवानी ने देवरिया की श्रीमती जानकी देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. कोर्ट ने आदेश का पालन करने के लिए महानिबंधक को आदेश दिया है कि वह आदेश की प्रति मुख्य सचिव को भी प्रेषित करे.
याची ने 2013 में खरीदी थी जमीन
गौरतलब है कि याची ने 2013 में जमीन खरीदी. जिसमें एक कमरा बनाया शेष जमीन पर कृषि हो रही है. उपनिबंधक देवरिया की रिपोर्ट पर एडीएम वित्त और राजस्व देवरिया ने बकाया स्टैम्प शुल्क, अर्थदण्ड और ब्याज सहित 50230 रूपये की मांग की, जिसके खिलाफ पुनरीक्षण खारिज हो गया.
मामला जब हाईकोर्ट आया तो डीएम को पुनर्विचार करने को कहा गया. जिस पर डीएम ने स्टैम्प शुल्क और अर्थदण्ड बढ़ा दिया. बाद में पाया गया कि डीएम का आदेश तहसीलदार व नायब तहसीलदार की गलत निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर पारित था.
यूपी सरकार पर दो लाख रूपये का हर्जाना
हाईकोर्ट का कहना था कि अधिकारियों ने 11 साल तक गलत तरीके से याची को मुकदमेबाजी में उलझाये रखा इसलिए इस मामले में भारी हर्जाना लगाया जाना चाहिए. अदालत ने इस मामले में यूपी सरकार पर दो लाख रूपये का हर्जाना लगाया है.