इलाहाबाद: इंदिरा के सलाहकार रहे कांग्रेस नेता की यूनिवर्सिटी पर चला हाईकोर्ट का डंडा
इलाहाबाद: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सलाहकार रहे जेएन मिश्र द्वारा संचालित इलाहाबाद की नेहरू ग्राम भारती यूनिवर्सिटी में बिना मान्यता के ही बीटीसी कोर्स चलाए जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताते हुए बेहद सख्त रुख अपनाया है.
50-50 हजार रूपये के हर्जाने का भुगतान
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यूनिवर्सिटी के ज़िम्मेदार लोगों को कड़ी फटकार लगाई है और शैक्षिक सत्र 2008-09 और 2009-10 में बीटीसी में दाखिला लेने वाले सभी छात्रों को जमा की गयी फीस वापस करने और इन सभी को 50-50 हजार रूपये के हर्जाने का भुगतान करने का भी आदेश दिया है. हालांकि अदालत ने यूनिवर्सिटी को हर्जाने की यह रकम नियमों के खिलाफ दाखिला लेने के ज़िम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों से वसूल करने की छूट दी है.
अदालत ने युनिवर्सिटी को आदेश दिया है कि दोनों सत्र में बीटीसी में दाखिला लेने वाले सभी स्टूडेंट्स को उनके द्वारा जमा की गई फीस और पचास हजार रूपये के हर्जाने की रकम बैंक ड्राफ्ट के ज़रिये हर हाल में दो महीने में सौंप दी जाए. यह आदेश जस्टिस अरूण टंडन और जस्टिस राजुल भार्गव की डिवीजन बेंच ने शशिकुमार द्विवेदी व अन्य की स्पेशल अपील पर सुनवाई के बाद दिया है.
कुछ शर्तों के साथ बीटीसी कोर्स चलाने की अनुमति
गौरतलब है कि जेएन मिश्र द्वारा संचालित नेहरू ग्राम भारती डीम्ड यूनिवर्सिटी को कुछ शर्तों के साथ बीटीसी कोर्स चलाने की अनुमति दी गयी. मान्यता 2010-11 से मिली, लेकिन यूनिवर्सिटी ने 2008-09 और 2009-10 सत्र में भी प्रवेश ले लिया. इसकी मान्यता नहीं थी. इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी. कोर्ट से राहत न मिलने पर यह स्पेशल अपील दाखिल की गयी थी.
कोर्ट ने कहा है कि डीम्ड विश्वविद्यालय से ऐसी लापरवाही की उम्मीद नहीं की जा सकती जिससे छात्रों का कैरियर और भविष्य ही दांव पर लग जाए. जेएन मिश्र कांग्रेस के सीनियर लीडर हैं और वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निजी सलाहकार भी रहे हैं. वह इस यूनिवर्सिटी के चांसलर हैं.