लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी में स्थित लखनऊ विश्वविद्यालय में बुधवार को शिक्षकों के साथ हुई मारपीट के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्टय की लखनऊ खंडपीठ के समक्ष पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार पेश हुए.
इस दौरान अदालत ने दोनों वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को जमकर खरी-खोटी सुनाई. अदालत के निर्देश पर शुक्रवार को डीजीपी, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलानुशासक, कुलसचिव और एसएसपी दीपक कुमार न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की पीठ के समक्ष पेश हुए.
अदालत ने फटकार लगाते हुए पूछा कि जब विश्वविद्यालय के कुलानुशासक (प्रोक्टर) व अन्य अधिकारी पुलिस से इस प्रकार की घटना का अंदेशा जता चुके थे, फिर भी पुलिस शिक्षकों के साथ मारपीट की घटना रोकने में क्यों विफल रही?
एसएसपी लखनऊ ने सफाई दी कि पूरी घटना राजनीति से प्रेरित थी. लेकिन अदालत उनकी दलील से संतुष्ट नहीं हुई.
खंडपीठ ने कुलपति और कुलानुशासक को पूरी घटना का ब्योरा एक हफ्ते के अंदर हलफनामे में देने को कहा है. साथ ही इस तरह की घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए अदालत ने मुख्य सचिव को एक समिति बनाने का निर्देश दिया है.
प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता वी.के. शाही और मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश पांडेय उपस्थित हुए. मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को रखी गई है. अदालत ने कुलपति से यूनिवर्सिटी को सुरक्षित रखने के बारे में सुझाव मांगा है.
गौरतलब है कि इससे पहले डीजीपी ओ.पी. सिंह ने मामले की जांच लखनऊ रेंज के आईजी सुजीत पांडे को सौंप दी है. वहीं सीओ (महानगर) अनुराग सिंह को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है. इसके अलावा लखनऊ यूनिवर्सिटी पुलिस चौकी इंचार्ज को निलंबित कर दिया है.