इलाहाबाद: यूपी की योगी सरकार को आज इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सोमवार को योगी सरकार की अस्थाई खनन नीति को मंजूरी दे दी. हाईकोर्ट की मंजूरी मिलने के बाद योगी सरकार अब ई-टेडरिंग से बालू खनन की परमिट जारी कर सकेगी. इतना ही नहीं अदालत ने आज के अपने फैसले में सूबे में बालू खनन पर लगी रोक भी हटा ली है.


योगी सरकार की योजना पर मुहर


चीफ जस्टिस डीबी भोसंले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने ई टेंडरिंग के ज़रिये खनन के पट्टे जारी किये जाने की योगी सरकार की योजना पर मुहर लगाते हुए इस बारे में दाखिल सभी याचिकाओं को निस्तारित कर दिया है.


हालांकि अदालत ने अपने फैसले में यह कहा है कि ई टेन्डरिंग से दिए जाने वाले बालू खनन के पट्टे सिर्फ छह महीने के लिए वैध होंगे. इसके बाद सरकार को नई नीति बनाकर नये नियमों के तहत ही खनन के पट्टे जारी करने होंगे.


स्थाई नीति बनाकर खनन के पट्टे दे सकती है सरकार


नई नीति के मुताबिक़ सरकार एक कमेटी गठित करेगी जो खनन एरिया व खनन मात्रा का निर्धारण करेगी. निर्धारित मात्रा से अधिक खनन की अनुमति नही होगी. सरकार को नियमों मे बदलाव करने की छूट रहेगी. पंद्रह जून के बाद सरकार कभी भी स्थाई नीति बनाकर पांच साल के लिए खनन के पट्टे दे सकती है.


हालांकि तब भी सभी पट्टे ई टेंडरिंग के जरिये ही दिए जाएंगे. अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि 22 अप्रैल 2017 के शासनादेश से लागू हुई नई नीति में रूल 9 ए के तहत खनन में किसी को कोई वरीयता नहीं दी जाएगी और ई टेंडरिंग के जरिये पारदर्शी तरीके से ही पट्टे दिए जाएंगे.