इलाहाबाद: वाराणसी में सरकारी प्राइमरी स्कूलों की खस्ताहालत पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाया है. अदालत ने इन स्कूलों की बिल्डिंग्स की खराब हालत और यहां पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य को लेकर यूपी सरकार और बेसिक शिक्षा सचिव से एक हफ्ते में पूरी कार्ययोजना पेश करने को कहा है.


अदालत ने पूछा है कि जर्जर स्कूल बिल्डिंग्स को नये सिरे से तैयार करने या फिर उनकी मरम्मत कर उन्हें सुरक्षा के मद्देनजर ठीक रखने के लिए क्या इंतजाम किये जा रहे हैं. बिल्डिंग्स के सही होने तक बच्चों या स्कूल को दूसरी जगहों पर शिफ्ट करने की क्या योजना बनाई गई है.

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जिन सत्रह स्कूलों का मामला पीआईएल में उठाया गया है, उनकी बिल्डिंग नये सिरे से तैयार करने या फिर मरम्मत किये जाने में कितना खर्च आएगा और कितना वक्त लगेगा. इन स्कूलों में शौचालय और पीने के पानी के क्या इंतजाम किये जाएंगे.

बृहस्पतिवार को हुई सुनवाई के दौरान वाराणसी के बीएसए ने बताया कि सत्रह में से चार स्कूलों को अस्थाई तौर पर दूसरी बिल्डिंग्स में शिफ्ट कर दिया गया है. अदालत ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि बच्चों के भविष्य और उनकी सुरक्षा को कतई दांव पर नहीं लगाया जा सकता.

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मामले की सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने कई स्कूलों के एक या दो कमरे में ही चलने और वहां पर्याप्त संख्या में टीचर्स व स्टाफ नहीं होने पर भी नाराज़गी जताई और इस बारे में भी यूपी सरकार व बेसिक शिक्षा सचिव से जवाब मांगा है.

गौरतलब है कि सामाजिक संस्था जन अधिकार मंच ने वाराणसी के कई स्कूलों का सर्वे कर एक रिपोर्ट तैयार की थी. इस रिपोर्ट में सत्रह प्राइमरी स्कूलों की बिल्डिंग्स को बेहद जर्जर बताते हुए उसे बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक बताया था. जन अधिकार मंच ने ही इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी.