इलाहाबाद: मथुरा के जवाहरबाग पार्क में कब्जे और पिछले साल हुई हिंसा के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज जांच एजेंसी सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई की प्रोग्रेस रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े किए हैं. अदालत ने सबसे ज़्यादा नाराज़गी मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव की मौत की तस्दीक न कर पाने और उसकी डीएनए टेस्ट रिपोर्ट फ़ाइल नहीं किये जाने पर जताई है. अदालत ने सीबीआई के दोनों जांच अधिकारियों को अगले हफ्ते कोर्ट में व्यक्तिगत तौर पर तलब भी कर लिया है.


अलग-अलग हैं दोनों के जांच अधिकारी


हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने आज इस मामले में कहा है कि सीबीआई ने उसके आदेश के मुताबिक़ जांच अभी तक शुरू ही नहीं की है. अदालत ने मामले की जांच के लिए सीबीआई द्वारा मांगी गई छह महीने की मोहलत को भी ठुकरा दिया है.


चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच इस मामले की सुनवाई नौ मई को फिर से करेगी. सीबीआई की तरफ से आज अदालत में बताया गया कि मामले की जांच के लिए उसने दो टीमें गठित की है. एक टीम प्राइमरी जांच कर रही है, जबकि दूसरी डिटेल्स में. दोनों के जांच अधिकारी अलग-अलग हैं.


रामवृक्ष और उसके समर्थकों ने शुरू कर दी थी हिंसा


गौरतलब है कि मथुरा के जवाहरबाग पार्क पर बाबा जयगुरुदेव के कथित उत्तराधिकारी रामवृक्ष यादव ने पिछले कई सालों से कब्जा कर रखा था. हाईकोर्ट के आदेश पर पिछले साल दो जून को मथुरा पुलिस पार्क को खाली कराने पहुँची तो रामवृक्ष और उसके समर्थकों ने हिंसा शुरू कर दी थी.


हिंसा में तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी शहीद हो गए थे जबकि दो दर्जन से ज़्यादा लोग मारे गए थे. रामवृक्ष यादव की तत्कालीन मंत्री शिवपाल से नजदीकियों के चलते यह मामला सियासी गलियारों में भी खूब गूंजा था. यूपी सरकार ने हिंसा में मारे गए मुख्य साजिशकर्ता रामवृक्ष यादव का डीएनए टेस्ट तक नहीं कराया था.


इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल हुई थीं आधा दर्जन से ज़्यादा अर्जियां


इस मामले की जांच सीबीआई से कराये जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में आधा दर्जन से ज़्यादा अर्जियां दाखिल हुई थीं. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान दो मार्च को सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. सीबीआई को आज इस मामले में हाईकोर्ट में प्रोग्रेस रिपोर्ट दाखिल करनी थी.