इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी की योगी सरकार को बड़ी राहत देते हुए ई-टेण्डरिंग के जरिए छह माह के लिए अस्थायी खनन परमिट देने का रास्ता साफ कर दिया है. हालांकि कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार ई-टेण्डरिंग की परमिट को एक मई तक अन्तिम रूप न दे. उस दिन कोर्ट इस मामले पर सुनवाई कर आगे की कार्यवाही पर अपने दिशा निर्देश जारी करेगी.
यूपी सरकार से मांगा विस्तृत हलफनामा
अदालत के इस फैसले से यूपी में किसी भी तरह के खनन पर लगी रोक एक मई तक जारी रहेगी. कोर्ट ने एक मई को होने वाली अगली सुनवाई से पहले खनन पट्टे को लेकर यूपी सरकार से विस्तृत हलफनामा मांगा है.
प्रदेश के नये एडवोकेट जनरल राघवेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने खनन पट्टे ई-टेण्डरिंग के जरिए दिये जाने का नीतिगत फैसला लिया है, लेकिन इस प्रकिया को अपनाने में छह महीने का वक्त लग सकता है. इस दौरान अस्थायी खनन परमिट दी जायेगी, जिसकी मियाद किसी कीमत पर छह महीने से ज़्यादा की नहीं होगी.
वरीयता देने के नियम कोलागू नहीं करेगी राज्य सरकार
खनन पट्टे की कार्यवाही के लिए केन्द्र सरकार द्वारा अनापत्ति सहित एरिया घोषित करने की घोषणा जरूरी है. इसके अलावा सरकार नियमों में जरूरी बदलाव भी करेगी. नियम 9ए के तहत खनन पट्टे में वरीयता देने के नियम को राज्य सरकार लागू नहीं करेगी.
कोर्ट ने एडवोकेट जनरल के बयान को हलफनामे के मार्फत दो हफ्ते में दाखिल करने का समय दिया और सुनवाई की अगली तारीख एक मई तय की है. यह आदेश चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले व जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने गुलाब चन्द्र व दर्जनों अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है. याचिकाओं में नियम 9 ए की वैधता को चुनौती दी गई है. कोर्ट का कहना था कि यदि सरकार इस नियम को लागू नहीं करना चाहती तो वैधता पर सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है.