इलाहाबाद: धार्मिक आधार अपर दाढ़ी रखकर पुलिस की नौकरी करने की परमिशन मांगने वाले बिजनौर जिले के सिपाही नईम अहमद को फिलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिल सकी है. अदालत ने इस मामले में सीधे तौर पर दखल देने से इंकार कर दिया है.


ज़िले के पुलिस कप्तान को है फैसला लेने का हक़


कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि फैसला लेने का हक़ ज़िले के पुलिस कप्तान को है. अदालत ने बिजनौर के एसपी को दाढ़ी रखने की परमिशन दिए जाने की नईम अहमद की अर्जी पर नियम के मुताबिक़ फैसला लेने को कहा है.


इतना ही नहीं अदालत एसपी को फैसला लेने के लिए अधिकतम दो महीने की मोहलत दी है. अदालत ने कहा है कि एसपी दो महीने के अंदर नियमों के मुताबिक़ फैसला लेकर इस बारे में सिपाही नईम अहमद को सूचित करें. यह आदेश न्यायमूर्ति पी के एस बघेल ने बिजनौर पुलिस लाइन में तैनात नईम अहमद की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.


सक्षम अधिकारी की अनुमति से दाढ़ी रख सकते हैं मुस्लिम


याचिका पर अधिवक्ता का कहना था कि राज्य सरकार के निर्देश पर 10 अक्टूबर 1985 को सर्कुलर जारी किया गया है जिसके तहत सक्षम अधिकारी की अनुमति से मुस्लिम दाढ़ी रख सकते हैं. इसके बावजूद याची को दाढ़ी रखने की छूट नहीं दी जा रही है.


याची ने 10 जून साल 2016 को एसपी बिजनौर को अर्जी देकर उनसे परमिशन मांगी गई है, लेकिन एसपी ने ग्यारह महीने बीतने के बाद भी इस पर कोई फैसला नहीं लिया है. इस पर कोर्ट ने एसपी को कहा है कि वह इस सिपाही के दाढ़ी रखने के मामले में निर्णय लें.