इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के गोरखपुर में स्टैम्प डिपार्टमेंट के डिप्टी कमिश्नर राम अखिलेश यादव के एक फैसले को मनमाना और नियमो के खिलाफ करार देते हुए उनके खिलाफ तल्ख़ टिप्पणी की है और कहा है कि कोई भी लोकसेवक कानून से ऊपर नहीं है. वह बिना कारण बताये मनमाने आदेश पारित कर लोगों का उत्पीड़न नहीं कर सकता.


डिप्टी कमिश्नर ने ठीक से नहीं निभाई अपनी ड्यूटी


कोर्ट ने डिप्टी कमिश्नर राम अखिलेश यादव को पचीस जनवरी को स्पष्टीकरण के साथ अदालत में व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने का निर्देश दिया है और पूछा है कि आदेश पारित करते समय विवेक का प्रयोग कर कारण क्यों स्पष्ट नहीं किया है. कोर्ट ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा है कि डिप्टी कमिश्नर ने अपनी ड्यूटी को ठीक से नहीं निभाया और उन्होंने बेवजह लोगों को परेशान किया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी.केसरवानी ने देवरिया निवासी श्रीमती जानकी देवी की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है. याचिका के मुताबिक़ नौ फरवरी साल 2005 में याची ने देवरिया के रामपुर गांव में जमीन का बैनामा लिया. तहसीलदार की रिपोर्ट पर स्टैम्प शुल्क कम जमा करने का मुकदमा कायम हुआ. एडीएम वित्त एवं राजस्व देवरिया ने 30 सितम्बर 2006 के आदेश से कहा है कि 32560 रूपये का स्टैम्प शुल्क व पेनाल्टी सहित कुल 50230 रूपये जमा करे. इस आदेश के खिलाफ अपील खारिज हो गई तो याचिका दाखिल हुई.


जमीन का रिहायशी और व्यवसायिक उपयोग


कोर्ट ने पुनर्विचार कर आदेश देने के लिए प्रकरण वापस कर दिया. इसके बाद पारित आदेशों पर दो बार हाईकोर्ट ने नए सिरे से विचार कर निर्णय लेने को कहा, किन्तु मनमाने तौर पर आदेश कायम रहा. कहा गया कि जमीन पर एक कमरा है और शेष जमीन में खेती हो रही है. किन्तु सड़क किनारे है, जमीन का रिहायशी और व्यवसायिक उपयोग भविष्य में किया जा सकता है.


डिप्टी कमिश्नर स्टैम्प ने पेनाल्टी चार गुना बढ़ा दी. 4 गुना पेनाल्टी बढ़ाकर दो लाख 3 हजार 608 रूपये का भुगतान मांगा. शुरू में 50230 रूपये ही मांगे थे. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने प्रकरण को तीन बार अधिकारियों को नए सिरे से निर्णय लेने का आदेश दिया किन्तु हर बार मनमानी आदेश पारित किए गए. आदेश देने का कोई ठोस कारण भी नहीं दिया गया.


मनमाने आदेश पारित करने पर मांगा स्पष्टीकरण


कोर्ट ने अधिकारियों की मनमानी से लोगों के उत्पीड़न पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है और कहा कि अधिकारियों के ऐसे बर्ताव को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता. कोर्ट ने डिप्टी कमिश्नर व अन्य अफसरों द्वारा मनमाने आदेश पारित करने पर स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों न उनके विरुद्ध भारी हर्जाना लगाया जाए. याचिका पर अगली सुनवाई पचीस जनवरी को होगी.