इलाहाबाद: यूपी के गौतमबुद्ध नगर के 80 गांवों को ग्रेटर नोएडा के यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में शामिल किये जाने के यूपी सरकार के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. कई स्थानीय लोगों ने इस बारे में यूपी सरकार द्वारा दो साल पहले जारी किये गए नोटिफिकेशन को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए इसे रद्द किये जाने की मांग की है. उत्तर प्रदेश सरकार की अधिसूचना को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके चुनौती दी गयी है. मुख्य न्यायमूर्ति डी.बी.भोसले एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता की खण्डपीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई जारी है.


यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक क्षेत्र में कर लिया शामिल


आपको बता दें कि यूपी सरकार ने 18 सितम्बर 2015 को अधिसूचना जारी कर गौतम बुद्ध नगर ने 80 गांवों को यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक क्षेत्र में शामिल कर लिया. इस सभी गांवों को शामिल करने में वहां दी जा रही नगर पालिका सेवाओं को ध्यान में रखते हुए संविधान के अनुच्छेद 243 (क्यू) के तहत अधिसूचना जारी हुई है.


कोई नगरीय सुविधा उपलब्ध नहीं


याचिकाकर्ता श्रीनिवास नागर और अन्य की तरफ से अदालत में दलील दी गई कि इन गांवों को शामिल करने से पूर्व सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया. कहा गया है कि ये गांव सुदूरवर्ती इलाकों में स्थित है. वहां किसी भी प्रकार की कोई नगरीय सुविधा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में उन्हें यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक क्षेत्र प्राधिकरण में शामिल करना गलत है. इस याचिका पर मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी.