इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन को यूपी में चल रही 610 न्यायिक अधिकारियों की भर्ती प्रक्रिया अगले साल जून महीने तक हर हाल में पूरी कर लेने का निर्देश दिया है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि जून महीने में ही नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिया जाए, जिससे अगले साल जुलाई महीने से सभी नवनियुक्त न्यायिक अधिकारी कार्य करना शुरू कर दें. कोर्ट ने कमीशन के सेक्रेटरी को भर्ती प्रक्रिया की समय सारिणी हलफनामे के मार्फत सुनवाई की अगली तारीख 26 सितम्बर को दाखिल करने को कहा है.
अदालत भवनों व न्यायिक अधिकारियों की भारी कमी को लेकर दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले, जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस यशवंत वर्मा की फुलबेंच कर रही है. यूपी के चीफ सेक्रेटरी ने इस मामले में हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि 610 न्यायिक अधिकारियों की भर्ती की जा रही है. 371 कोर्ट रूम का निर्माण किया जा रहा है जो अगले साल जून महीने तक तैयार हो जायेंगे. बचे हुए 646 कोर्ट रूम बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है. जून 2020 तक बजट मिलने पर निर्माण कराया जा सकेगा.
कोर्ट ने इस बारे में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर जज होंगे और कोर्ट नहीं होगी तो क्या सरकार बिना काम लिये जजों को तनख्वाह देगी. यूपी सरकार के अपर महाधिवक्ता का कहना था कि कोर्टां के निर्माण आदि के खर्च केन्द्र व राज्य सरकारें संयुक्त रूप से वहन करती है. 100 में से केन्द्र 60 फीसदी धन मुहैया कराता है, जबकि 40 फीसदी धन राज्य सरकार लगाकर कार्य पूरा करती है. कोर्ट ने कहा कि सूबे में 1181 नई कोर्टों की जरूरत है. 371 बनने के बाद 810 कोर्ट बनाना बाकी रहेगा. कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि किराये पर कोर्ट रूम-रिहायशी व्यवस्था की जाए और स्टाफ दिये जाए ताकि अगले साल जुलाई महीने से 3300 न्यायिक अधिकारी न्यायिक कार्य कर सके. कोर्ट ने सरकार से ठोस प्रस्ताव मांगा है.