प्रयागराजः चिन्मयानंद मामले में पीड़ित महिला की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से हाई कोर्ट का इनकार
अदालत के समक्ष पीड़ित छात्रा ने दूसरी प्रार्थना यह की थी कि मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज कराया गया बयान ठीक नहीं था और उसे नया बयान दर्ज कराने की अनुमति दी जाए. लेकिन, हाईकोर्ट ने उसकी यह प्रार्थना भी स्वीकार नहीं की.
प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चिन्मयानंद यौन उत्पीड़न मामले में पीड़ित छात्रा की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की अर्जी पर किसी तरह की राहत देने से सोमवार को इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मामले का स्वतः संज्ञान लिए जाने के बाद जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस मंजू रानी चौहान की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया.
पीड़ित छात्रा ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने कहा कि यदि पीड़ित छात्रा इस संबंध में कोई राहत चाहती है तो वह उचित पीठ के समक्ष नई याचिका दायर कर सकती है.
हाई कोर्ट ने कहा कि यह पीठ इस मामले में केवल जांच की निगरानी करने के लिए नामित की गई है और गिरफ्तारी के मामले में रोक लगाने का कोई आदेश पारित करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.
सुनवाई के दौरान पीड़ित छात्रा भी थी मौजूद
इस मामले की सुनवाई के समय पीड़ित छात्रा भी अदालत में मौजूद थी. अदालत ने चिन्मयानंद मामले में एसआईटी की प्रगति रिपोर्ट पर संतोष जताया और आगे की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 22 अक्तूबर, 2019 की तारीख तय की.
इस अदालत के समक्ष पीड़ित छात्रा ने दूसरी प्रार्थना यह की थी कि मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज कराया गया बयान ठीक नहीं था और उसे नया बयान दर्ज कराने की अनुमति दी जाए. लेकिन, हाईकोर्ट ने उसकी यह प्रार्थना भी स्वीकार नहीं की.
हाई कोर्ट का कहना था कि नए बयान के लिए आवेदन में संबंधित मजिस्ट्रेट के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया गया है और न ही पीड़ित छात्रा का नया बयान दर्ज कराने के लिए कोई प्रावधान दिखाया गया है.
केवल यह आरोप लगाया गया है कि उसके बयान के सभी पेज पर उसके हस्ताक्षर नहीं लिये गये. केवल अंतिम पेज पर हस्ताक्षर लिये गये और उसका बयान दर्ज किए जाते समय एक महिला मौजूद थी.
SIT ने सीलबंद लिफाफे में प्रगति रिपोर्ट सौंपी
इस पर अदालत ने कहा कि उस महिला की ओर से किसी तरह का हस्तक्षेप किए जाने संबंधी आरोप न होने से ऐसा लगता है कि चैंबर में महिला की मौजूदगी केवल इसलिए थी ताकि पीड़ित छात्रा अपना बयान दर्ज कराने के दौरान सहज और सुरक्षित महसूस कर सके.
इससे पहले एसआईटी ने हाई कोर्ट के समक्ष एक सीलबंद लिफाफे में जांच की प्रगति रिपोर्ट और केस डायरी पेश की.
इस प्रगति रिपोर्ट देखने के बाद हाई कोर्ट ने पाया कि एसआईटी की जांच सही ढंग से चल रही है और पीड़ित छात्रा ने अपने आवेदन में एसआईटी द्वारा जांच में किसी तरह की अनियमितता का आरोप नहीं लगाया है.
गौरतलब है कि इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2 सितंबर, 2019 को इलाहाबाद हाई कोर्ट को इस मामले की जांच की निगरानी का निर्देश दिया था और साथ ही पीड़िता छात्रा के परिजनों की सुरक्षा को देखने को कहा था.
इससे पहले हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि विशेष जांच टीम (एसआईटी) का एक जिम्मेदार सदस्य जांच की प्रगति की रिपोर्ट दाखिल करेगा. अपर पुलिस अधीक्षक अतुल कुमार श्रीवास्तव अदालत में मौजूद थे.
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