इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों के साढ़े अड़सठ हजार पदों पर होने वाली भर्ती की लिखित परीक्षा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. यह लिखित परीक्षा सत्ताइस मई को होनी थी.


हाईकोर्ट द्वारा भर्ती प्रक्रिया रोके जाने की मांग खारिज किये जाने से योगी सरकार को बड़ी राहत मिली है. अदालत के इस फैसले से भर्ती परीक्षा के अब पहले से तय कार्यक्रम पर होने का रास्ता साफ़ हो गया है.


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परीक्षा के आयोजन को याचिका में यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि प्रदेश सरकार द्वारा जारी शासनादेश उसके क्षेत्राधिकार से परे है. एनसीटीई द्वारा तय अर्हता में लिखित परीक्षा शामिल नहीं है.


भर्ती इंटरमीडिएट और बीटीसी में मिले मार्क्स से तैयार मेरिट के आधार पर कराई जानी चाहिए. प्रदेश सरकार को योग्यता में बदलाव करने का कोई अधिकार नहीं है.


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इस बारे में दाखिल की गई सैकड़ों अर्जियों पर सुनवाई चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस सुनीत कुमार की डिवीजन बेंच ने की. अदालत में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की तरफ से कहा गया कि सरकार ने भर्ती नियमों में कोई बदलाव नहीं किया है.


लिखित परीक्षा कराने का उद्देश्य स्क्रीनिंग करना है. अभ्यर्थियों की संख्या उपलब्ध पदों से लगभग दोगुनी हो गयी है. इसलिए स्क्रीनिंग आवश्यक है. परीक्षा में मात्र तैंतीस प्रतिशत नंबर ही पास होने यानी अगले राउंड के लिए क्वालीफाई करने के लिए ज़रूरी होगा.


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इसका भी अंक क्वालिटी ज्वाइंट अंकों के साथ जोड़ा जायेगा. सरकार ने एनसीटीई नियमों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया है. कोर्ट ने प्रदेश सरकार को अपना पक्ष हलफनामे के मार्फत रखने का निर्देश देते हुए जुलाई के प्रथम सप्ताह में सुनवाई हेतु प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.


अदालत ने इस बारे में अभी अंतिम फैसला नहीं सुनाया है, लेकिन भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार करते हुए फिलहाल लिखित परीक्षा के लिए रास्ता खोल दिया है.