इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश कृषि तकनीकी सहायक ग्रुप सी परीक्षा 2013 में 6628 पदों पर किए गए चयन को अवैध करार देते हुए अभ्यर्थियों की नियुक्तियां रद्द कर दी हैं. अदालत ने इन नियुक्तियों में निर्धारित संख्या से ज़्यादा आरक्षण दिए जाने के आधार पर इन्हें रद्द किया है.


अखिलेश सरकार को बड़ा झटका


अदालत के इस फैसले से यूपी की अखिलेश यादव सरकार को बड़ा झटका लगा है. हालांकि कोर्ट ने कहा है कि इन पदों पर पूरी हुई लिखित परीक्षा तथा इसके आधार पर घोषित परिणाम में कोई गलती नहीं है. कोर्ट ने अपने फैसले में साफ़ किया है कि लिखित परीक्षा परिणाम के बाद की प्रक्रियाओं में गलती की गयी है, इस कारण चयन रद्द किया जाता है.


कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश सरकार व उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग लिखित परीक्षा परिणाम के बाद की चयन प्रक्रिया नये सिरे से चार माह में पूरा करे. इसी के साथ जजों ने प्रतियोगियों की याचिकाएं मंजूर कर ली है.


प्रमुख सचिव कैडर के हिसाब से पदों की संख्या का आंकलन


न्यायमूर्ति वी.के.शुक्ला व न्यायमूर्ति एम.सी.त्रिपाठी की खण्डपीठ ने मनीष उपाध्याय व कई अन्य प्रतियोगियों की याचिकाओं पर यह निर्देश जारी कर कहा है कि प्रमुख सचिव कैडर के हिसाब से पदों की संख्या का आंकलन कर तत्काल आयोग को मुहैया कराये ताकि चार माह के अंदर इंटरव्यू आदि की प्रक्रिया सम्पन्न हो सके.


याचिका दायर कर 12 अक्टूबर 14 के आयोग के आफिस मेमोरेण्डम को चुनौती दी थी जिसके द्वारा ओबीसी के 566 पदों को बढाकर 2030 कर दिया गया था. आयोग ने 6628 पदों के सापेक्ष प्रदेश सरकार को आरक्षित श्रेणी के 88 प्रतिशत अभ्यर्थियों को तथा सामान्य के मात्र बारह फीसदी अभ्यर्थियों का चयन कर नियुक्ति के लिए भेजा था. इसे कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 6 (4) बी और आरक्षण कानून 1994 की धारा 3 (1) के विपरीत माना.


50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता आरक्षण


आयोग की चयन सूची में 2515 सामान्य, 1882 एससी 28 फीसदी 201 एस टी 3 फीसदी तथा 2030 ओबीसी 30 फीसदी का परिणाम घोषित किया था. जबकि एससी 21 फीसदी, एसटी 2 फीसदी तथा ओबीसी 27 प्रतिशत यानि कुल 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता.