उन्नाव गैंग रेप केस में आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को हाईकोर्ट से झटका, अर्जी खारिज
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कुलदीप सेंगर की उस अर्जी पर कोई भी दखल देने से इंकार कर दिया है, जिसमें उन्होंने सीबीआई की जांच पर सवाल उठाते हुए अपना पक्ष अलग से रखे जाने का मौका दिए जाने की अपील की थी.
इलाहाबाद: उन्नाव के चर्चित गैंगरेप और मर्डर केस के आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को आज इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कुलदीप सेंगर की उस अर्जी पर कोई भी दखल देने से इंकार कर दिया है, जिसमें उन्होंने सीबीआई की जांच पर सवाल उठाते हुए अपना पक्ष अलग से रखे जाने का मौका दिए जाने की अपील की थी. अदालत ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा है कि जांच एजेंसी सीबीआई क़ानून के मुताबिक़ काम कर रही है. ऐसे में उसे किसी आरोपी के बारे में निर्देश देकर जांच को प्रभावित होने का मौका नहीं दिया जा सकता.
सेंगर ने कहा था कि सीबीआई निष्पक्ष जांच नहीं कर रही है अदालत ने सीबीआई को निर्देश देने की मांग वाली कुलदीप सिंह सेंगर की अर्जी को खारिज कर दिया है. सेंगर ने कहा था कि सीबीआई निष्पक्ष जांच नहीं कर रही है. वह बेगुनाह हैं और उनका किसी मामले में हाथ नहीं है, लेकिन सीबीआई उनका पक्ष नहीं सुन रही है.
एम्स के डॉक्टरों का तीसरा मेडिकल बोर्ड बनाने की अर्जी भी खारिज
चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने जांच एजेंसी सीबीआई की भी उस अर्जी को खारिज कर दिया है कि जिसमे पीड़िता के पिता की मौत की वजह जानने के लिए एम्स के डॉक्टरों का नया मेडिकल बोर्ड गठित किए जाने का आदेश दिए जाने की मांग की गई थी. सीबीआई की दलील दी थी कि इस बारे में गठित दो अलग-अलग मेडिकल बोर्ड ने मौत की अलग-अलग वजह बताई है, जिससे भ्रम पैदा हो गया है. ऐसे में अदालत एम्स के डॉक्टरों का तीसरा मेडिकल बोर्ड बनाने का आदेश जारी करें. अदालत ने कहा जांच सीबीआई को खुद ही ऐसे फैसले लेने का अधिकार है, इसलिए कोर्ट सीधे तौर पर इस मामले में दखल नहीं देगी.अगर सीबीआई को कोई दिक्कत हो तो वह अलग से अर्जी दाखिल कर सकती है.
सीबीआई ने आज तीसरी प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश की मामले की सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस सुनीत कुमार की डिवीजन बेंच के सामने सीबीआई ने आज तीसरी प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट से कोर्ट संतुष्ट नजर आई. आरोपी शुभम ने अपनी उम्र को लेकर अलग से अर्जी दाखिल की. उसका दावा है कि वह नाबालिग है, लेकिन सीबीआई उसके सर्टिफिकेट को नहीं मान रही है. अदालत ने इस मामले में भी दखल देने से मना कर दिया और कहा कि इस बारे में फैसला सीबीआई को ही लेना होगा. अदालत में आज की सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने बताया कि उन्नाव में चल रहे पाक्सो एक्ट के मुक़दमे को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है.