यूपी में खाद्यान्न को लेकर हाईकोर्ट का फैसला, हर जिले में निगरानी तंत्र विकसित करने का आदेश
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को बच्चों को पुष्टाहार और राशनकार्ड धारकों को खाद्यान्न आपूर्ति निगरानी तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया है और कहा है कि कर्तव्य पालन न करने वाले लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.
मिड डे मील योजना का कड़ाई से पालन
कोर्ट ने सूखा और मिड डे मील योजना का कड़ाई से पालन करने का भी निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी ने इलाहाबाद छतरगढ़ निवासी राम लखन की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.
कोर्ट ने एक माह के भीतर सभी जिलों में जिला शिकायत निवारण अधिकारी की तैनाती करने का आदेश देते हुए कहा है कि राज्य सरकार शिकायत निवारण तंत्र विकसित करे और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 को लागू करते हुए योजना को क्रियाशील करे.
लापरवाही करने वाले अधिकारियों की जवाबदेही
कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि तीस दिन के अंदर नियम 5 (3) के अन्तर्गत जिला शिकायत निवारण अधिकारियों के वेतन भत्ते सहित शिकायत प्राप्त कर और निस्तारण अवधि की अधिसूचना जारी करे.
कोर्ट ने पुष्टाहार और खाद्य सामग्री वितरण के खिलाफ शिकायत 90 दिन के भीतर तय करने का भी आदेश दिया है साथ ही कहा है कि तीस दिन के भीतर लापरवाह और कर्तव्य पालन न करने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए.
30 दिन में दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही
कोर्ट ने जिला, ब्लॉक और सस्ते गल्ले की दुकान स्तर पर विजिलेंस कमेटी गठित करने तथा उसे क्रियाशील करने का राज्य सरकार को एक माह का समय दिया है. कोर्ट ने कहा है कि यदि 30 दिन में कमेटियां पूरे प्रदेश में गठित नहीं हो जाती तो 30 दिन में दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की जाए.
कोर्ट ने जिला पूर्ति अधिकारियों को भी निर्देश दिया है कि वह कमेटी की कार्यप्रणाली व उपभोक्ता के अधिकारों की जानकारी गल्ले की दुकान के बोर्ड या दीवाल पर लिखवाये. कोर्ट ने वितरण प्रणाली की निगरानी तथा कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर खरीद फरोख्त पर नजर रखने को कहा है. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के इस संबंध में पिछले साल तेरह मई के निर्देशों का कड़ाई से पालन करने का भी निर्देश दिया है.