लखनऊ: अब इलाहाबाद को प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा. यूपी कैबिनेट की बैठक में इस नए नाम पर मुहर लग गई और पिछले कई दिन से चल रही चर्चाओं पर भी विराम लग गया. मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने इस बात की घोषणा की.
माना जाता है कि मुगल बादशाह अकबर ने प्रयाग का नाम बदल कर इलाहाबाद (अल्लाह आबाद) कर दिया था. सालों से साधु संत इलाहाबाद के नाम को बदलने की मांग कर रहे थे जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने मान लिया.
हालांकि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी सरकार के इस कदम के पीछे विशुद्ध राजनीति है. यूपी सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भी कहा कि नाम बदलने से हालात नहीं बदलने वाले हैं.
सरकार कुम्भ मेले से पहले ही इलाहाबाद के नाम को बदलना चाहती थी. हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि संत लगातार इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयाग करने की मांग उठा रहे थे, सरकार जल्द ही इस पर फैसला करेगी.
कुंभ मार्गदर्शक मंडल की बैठक में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठा था. बैठक की अध्यक्षता कर रहे राज्यपाल रामनाईक ने भी इस पर सहमति जताई. उन्होंने कहा कि जहां दो नदियों का मिलन होता है, उसे प्रयाग कहा जाता है. उत्तराखंड में देवप्रयाग, कर्णप्रयाग और विष्णुप्रयाग हैं.
इलाहाबाद में भी देवभूमि से निकलने वाली दो पवित्र नदियां मिलती हैं इसलिए इसे प्रयागराज कहा जाता है. उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही औपचारिकताएं पूरी कर इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर देगी.