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इलाहाबाद: सरकारी अनाथालय में डेढ़ महीने में सात बच्चों की मौत, जांच के आदेश

आरोप है कि बच्चों की मौत क्षमता से कई गुना ज़्यादा बच्चों को रखे जाने और उनकी सही देख रेख और इलाज न होने की वजह से हुई है. मामला सुर्ख़ियों में आने के बाद तीन अफसरों की कमेटी बनाकर उन्हें जांच सौंप दी गई है.

इलाहाबाद: यूपी के देवरिया में महिलाओं के शेल्टर होम में शोषण का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि इलाहाबाद के सरकारी अनाथालय में डेढ़ महीने में सात बच्चों की मौत का सनसनीखेज मामला सामने आया है. आरोप है कि बच्चों की मौत क्षमता से कई गुना ज़्यादा बच्चों को रखे जाने और उनकी सही देख रेख और इलाज न होने की वजह से हुई है. मामला सुर्ख़ियों में आने के बाद तीन अफसरों की कमेटी बनाकर उन्हें जांच सौंप दी गई है.

महज डेढ़ महीने में सात बच्चों की मौत से न सिर्फ सरकारी महकमे में हड़कंप मचा हुआ है, बल्कि इस घटना से मासूमों की ज़िंदगी को लेकर कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं. जिस अनाथालय में लगातार मासूमों की मौत हो रही है, उसकी क्षमता महज दस छोटे बच्चों को ही रखने की है. पंद्रह दिन पहले तक दस की क्षमता वाले इस अनाथालय में छप्पन बच्चे थे. हड़कंप मचने के बाद कुछ बच्चों को दूसरी जगहों पर शिफ्ट कर दिया गया. हालांकि सोमवार को भी यहां बत्तीस बच्चे मौजूद थे. मौत का शिकार हुए सातों बच्चों में छह लड़कियां और एक लड़का है. कई और बच्चे बीमार हैं और उन्हें अब सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.

इलाहाबाद के खुल्दाबाद इलाके में यूपी के महिला और बाल कल्याण विभाग की बिल्डिंग है. इसमें छोटे बच्चों से लेकर किशोर उम्र के लड़कों और नाबालिग लड़कियों से लेकर महिलाओं को रखे जाने के इंतजाम हैं. बिल्डिंग में चलने वाले सरकारी बाल गृह शिशु की क्षमता सिर्फ दस बच्चों की ही है. इतने बच्चों के अनुपात में ही यहां आया और दूसरे स्टाफ हैं. दस की ही क्षमता होने के बावजूद यहां हमेशा औसतन चालीस से साठ बच्चे रखे जाते हैं.

बीस जून से अब तक यानी तकरीबन डेढ़ महीनों में यहां सात बच्चों की मौत हो चुकी है. बच्चों की मौत की असली वजह क्या है, इस बारे में कोई दावे से नहीं कह सकता. हालांकि आरोप यह है कि क्षमता से कई गुना ज़्यादा बच्चों को रखे जाने और उनका इलाज और सही देख रेख न हो पाने की वजह मौतें हो रहीं हैं. दूसरी तरफ सरकारी अमले का मानना है कि बच्चे बीमारी की वजह से मरे हैं. जिला प्रोबेशन अफसर नीलेश मिश्र के मुताबिक़ स्टाफ और संसाधन की कमी है, लेकिन इसके बावजूद बच्चों की हर संभव देखभाल की जाती है.

मामला सुर्ख़ियों में आने के बाद इलाहाबाद के डीएम सुहास एल वाई ने तीन अफसरों की कमेटी बनाकर उनसे पूरे मामले की जांच करने और अनाथालय की मौजूदा स्थिति पर रिपोर्ट देने को कहा है. यह वही अनाथालय है, जहां विभाग की मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने पिछले साल घंटों पड़ताल कर अफसरों को जरूरी हिदायत दी थी. इलाहाबाद विभागीय मंत्री रीता जोशी का गृह नगर भी है. अनाथालय के बच्चों की हकीकत जाने के लिए बाल मित्र के तौर पर नियुक्त सोशल वर्कर नाजिया नफीस के मुताबिक़ स्टाफ की कमी और उनके अनट्रेंड होने की वजह से इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं.

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