इलाहाबाद: यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा में इलाहाबाद की शीरत फातिमा को भी कामयाबी मिली है. साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली शीरत के पिता लेखपाल हैं. मामूली सी नौकरी में जब उन्हें अफसरों की डांट खानी पड़ती थी तो वे झल्ला उठते थे. इसकी वजह से पिता ने अपनी बेटी शीरत को चार साल की उम्र से ही अफसर बनाने के सपने दिखाना शुरू कर दिया था. लेखपाल पिता के इस सपने को पूरा करने के लिए शीरत ने बहुत संघर्ष किया. मंज़िल तक पहुंचने की राह में पैसा रुकावट न बने, इसलिए शीरत बीटीसी कर प्राइमरी स्कूल में टीचर बनीं और बच्चों को पढ़ाते हुए, अब वह अब अफसर बन चुकी हैं.
ज़िंदगी में तमाम उतार-चढ़ाव देखने वाली शीरत को नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म मांझी द माउंटेन मैन से प्रेरणा मिली थी. शीरत की इस कामयाबी पर पूरा परिवार खुशी से फूला नहीं समा रहा है. अपनी बेटी की सफलता देखकर लेखपाल पिता की आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं. जिन अफसरों के सामने जाने पर उन्हें डर लगता था, आज वही फोन कर उन्हें बधाई दे रहे हैं. हैरान कर देने वाली बात यह है कि शीरत फातिमा की पढ़ाई और ज़्यादातर तैयारी बेहद पिछड़े हुए गांव में हुई थी. वह बस से रोज़ाना तीस किलोमीटर दूर युनिवर्सिटी आती थीं. कई बार नौकरी करने के लिए प्राइमरी स्कूल तक का आठ किलोमीटर तक का सफर पैदल भी तय करना पड़ा है. तीन महीने पहले ही शीरत का निकाह हुआ है.
शीरत के पिता लेखपाल हैं
इलाहाबाद के करेली इलाके में शीरत का दो कमरों का छोटा सा मकान है. शीरत को सिविल सर्विसेज परीक्षा में 810वीं रैंक मिली है. शीरत के पिता अब्दुल गनी लेखपाल हैं. 1990 में शादी के बाद जब उन्हें नौकरी मिली तो अक्सर अफसरों की डांट खानी पड़ती थी. कई बार उन्हें बहुत बुरा लगता और यह महसूस होता कि अफसर ही इस दुनिया के असली मालिक होते हैं.
दो बेटे और दो बेटियों में सबसे बड़ी शीरत ही हैं. पिता अब्दुल गनी ने बड़ी बिटिया को बड़ा अफसर बनाने का फैसला किया और उसी मिशन में जुट गए. मामूली सी तनख्वाह में शीरत को कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई कराई. इलाहाबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी से बीएससी कराया. बाद में आर्थिक हालात बिगड़ने लगे तो शीरत ने बीएड कर प्राइमरी स्कूल में नौकरी कर ली. शाम चार बजे वह स्कूल से लौटती और थोड़ी देर आराम के बाद खुद अपनी पढ़ाई में जुट जाती.
शीरत को यह कामयाबी चौथी कोशिश में मिली है. इस बार मेंस का लिखित इम्तहान होने के बाद शीरत के परिवार वालों ने उनका निकाह कर दिया. उनके पति इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिव्यू आफिसर हैं, लेकिन स्कूल की नौकरी की वजह से वह इन दिनों पिता के घर पर ही रह रही हैं. बीच में हालात जब खराब हुए और मंज़िल दूर नजर आने लगी तो उसी बीच शीरत ने नवाजउद्दीन सिद्दीकी की फिल्म मांझी द माउंटेन मैन देखी. उस फिल्म से उन्हें जो प्रेरणा मिली उसके बाद फिर कभी वह विचलित नहीं हुईं. हालांकि इस कामयाबी के बावजूद शीरत अपनी रैंक कम करने के लिए फिर से इम्तहान देने का मन बना रही हैं.