इलाहाबाद : यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन ने पीसीएस-2017 की लिखित मुख्य परीक्षा के पेपर लीक मामले में जांच पूरी होने के बाद कड़ी कार्रवाई की है. जून महीने में हुई लिखित परीक्षा का पेपर लीक होने के मामले में कमीशन ने प्रिंटिंग प्रेस, इलाहाबाद के गवर्नमेंट इंटर कॉलेज और संबंधित स्टैटिक मजिस्ट्रेट को ज़िम्मेदार मानते हुए इन सभी के खिलाफ कार्रवाई की है. कमीशन ने पेपर की प्रिंटिंग करने वाले प्रेस को दो साल के लिए डिबार कर दिया है और साथ ही उसके पिछले बिल के बकाए का भुगतान भी नहीं करने का फैसला लिया है.
कई लोगों पर गिरी है गाज
इसके साथ ही इलाहाबाद के जिस गवर्नमेंट इंटर कालेज में पेपरों की अदला बदली हुई थी, उसे तीन साल के लिए डिबार करते हुए अगले तीन साल तक कमीशन के किसी भी इम्तहान में सेंटर नहीं बनाने का फैसला किया गया है. जीआईसी के प्रिंसिपल और उस दिन कक्ष निरीक्षक का काम कर रहे छत्तीस टीचर्स और कई कर्मचारियों की तीन साल तक कमीशन के किसी भी इम्तहान में ड्यूटी नहीं लगाए जाने का फैसला हुआ है.
लगाई गई रोक के जरिए सख्त संदेश देने की कोशिश
जांच रिपोर्ट में उस दिन एडिशनल आब्जर्वर के तौर पर काम कर रहे कमीशन के समीक्षा अधिकारी को ज़िम्मेदार मानते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई किए जाने का फैसला हुआ है तो इसके साथ ही डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट द्वारा नियुक्त स्टैटिक मजिस्ट्रेट के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार से सिफारिश की गई है. कमीशन के सचिव जगदीश के मुताबिक़ यह सभी फैसले शुक्रवार शाम हुई बैठक में लिए गए हैं और इसके ज़रिए सख्त संदेश देने की कोशिश की गई है.
19 जून को लीक हो गए थे पीसीएस 2017 की लिखित मुख्य परीक्षा के दो पेपर
बता दें कि यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा आयोजित पीसीएस 2017 की लिखित मुख्य परीक्षा के दो पेपर लापरवाही की वजह से उन्नीस जून को लीक हो गए थे. इसे लेकर अभ्यर्थियों ने काफी हंगामा किया था. इलाहाबाद में हुई हिंसा के दौरान आगजनी भी हुई थी और तमाम प्रतियोगी छात्रों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. बाद में कमीशन ने लीक हुए दोनों पेपर सामान्य हिन्दी और निबंध की परीक्षाएं रद्द कर इन्हे नए सिरे से कराए जाने का फैसला किया था. पेपर लीक होने की वजह से कमीशन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े हुए थे.