नई दिल्ली: अखिलेश को साइकिल मिल गई, अब सवाल ये है कि क्या दोबारा अखिलेश को दोबारा यूपी की सत्ता मिलेगी. इसी सवाल को लेकर अखिलेश यूपी में विरोधियों को मात देने के लिए महागठबंधन का फॉर्मूला बना रहे हैं. शीला दीक्षित, गुलाम नबी आजाद से लेकर रामगोपाल यादव तक सब गठबंधन की बात कर चुके हैं. यूपी में अब तय है कि गठबंधन तो होकर रहेगा. ये गठबंधन होगा अखिलेश की समाजवादी पार्टी राहुल गांधी की कांग्रेस और अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल के साथ, अब इस महागठबंधन का फॉर्मूला समझ लीजीए.
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटें हैं.
जिसमें 76 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस और आरलएडी 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी से आगे थे.
इन 76 सीटों में से 56 सीटें ऐसी थीं जहां कांग्रेस 2012 में समाजवादी पार्टी से आगे थी.
इन 56 सीटों में 28 सीटों पर कांग्रेस जीती थी, 26 सीटों पर कांग्रेस समाजवादी पार्टी से आगे थी, 2 सीटें ऐसी थीं, जहां समाजवादी पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ा था.
20 सीटें ऐसी थीं, जहां अजित सिंह की पार्टी आरएलडी समाजवादी पार्टी से आगे रही.
इसके अलावा 8 सीटें ऐसी थीं, जहां समाजवादी पार्टी चौथे नंबर रही.
कांग्रेस को अब 85-90 सीट अखिलेश दे सकते हैं.
अजित सिंह को 20 से 22 सीट मिल सकती है.
यानी कुल 110 से 115 सीटें अखिलेश यादव महागठबंधन को दे सकते हैं.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस 100 सीट चाहती है जबकि अखिलेश उसे 90 सीट देने के लिए तैयार हैं. इसी तरह चौधरी अजीत सिंह की पार्टी 30 सीट चाहती है लेकिन सूत्रों के मुताबिक अखिलेश उसे 22 सीट देने के लिए तैयार हैं.
यूपी में चुनाव से पहले महागठबंधन की बात इसलिए भी अहम है क्योंकि एबीपी न्यूज के सर्वे ने बताया था कि इससे अखिलेश और कांग्रेस दोनों को फायदा होगा. अखिलेश को महागठबंधन में सत्ता की चाबी दिख रही है यही वजह है कि अखिलेश ने कुछ दिन पहले ये कहा था कि अगर गठबंधन हो गया तो तीन सौ से ज्यादा सीटें जीतेंगे.