जयपुर: राजस्थान के अलवर में गो तस्करी के शक में रकबर खान उर्फ अकबर को किसने मारा? यह बड़ा सवाल बना हुआ है. पूरी वारदात के दौरान मौजूद रहे लोगों का दावा है कि पुलिस की पिटाई में अकबर की मौत हुई. वहीं पुलिस ने लापरवाही की बात तो स्वीकार की है लेकिन उसका दावा है कि भीड़ ने ही गो तस्कर होने के शक में अकबर की पिटाई हुई और बाद में उसकी मौत हो गई. इस बीच अकबर का एक फोटो सामने आया है जिसमें वह पुलिस कस्टडी में है और वह बिल्कुल स्वस्थ दिख रहा है.


चश्मदीदों का दावा है कि अकबर की पुलिस पिटाई में मौत हुई है. कथित गोरक्षकों ने जब करीब 12:30 बजे रात को अकबर को पकड़ा था तो हल्की मारपीट के बाद पुलिस को सूचना दी थी. पुलिस के हिरासत में जाने के बाद अकबर की मौत हुई है. पुलिस पर आरोप है कि हिरासत में लेने के बाद उसकी पिटाई की गई. राजस्थान पुलिस ने हिरासत में अकबर को लेने के बाद बरती गई लापरवाही की बात मानी है. इस मामले में चार अफसर को निलंबित कर दिया गया है और तीन पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया है.


पुलिस पर आरोप है कि उसने करीब एक बजे अकबर को हिरासत में लेने के बाद मात्र चार किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचने में तीन घंटे लगाए. यानि पुलिस करीब चार बजे अस्पताल पहुंची. तब तक अकबर की मौत हो चुकी थी. यह भी दावा किया जा रहा है कि पुलिस ने घायल अकबर को अस्पताल ले जाने की बजाय थाने लेकर गई. थाने ले जाने से पहले धूल से सने अकबर का शरीर साफ किया गया. पुलिस ने थाना से अस्पताल ले जाते समय संवेदनशीलता को ताक पर रखकर चाय भी पी. एबीपी न्यूज ने जब उस चाय वाले से बात की तो उन्होंने कहा कि मैंने रात करीब 1 बजे दुकान खोली थी और चार पुलिसकर्मी मेरी दुकान पर आए और मुझसे चाय मांगी लेकिन समय मुझे याद नहीं है कि कितने बजे आए होंगे.


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पुलिस महानिदेशक ओपी गल्होत्रा ने कहा कि टीम यह जांच करेगी कि शनिवार को पीटे जाने के बाद रकबर उर्फ अकबर को सिर्फ चार किलोमीटर दूर अस्पताल तक ले जाने में इतना समय कैसे लगा. गठित टीम में वरिष्ठ अधिकारी एन.आर.के. रेड्डी, पी.के. सिंह, हेमंत प्रियदर्शी और महेंद्र सिंह चौधरी शामिल हैं. रामगढ़ में विश्व हिंदू परिषद की गौरक्षक इकाई के प्रमुख नवल शर्मा के अनुसार, दर्ज मामले में कहा गया है कि पुलिस घटनास्थल पर रात 12.41 बजे पहुंची और वे पीड़ित को रात एक बजे ले गए.


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इसके बाद पुलिस आश्चर्यजनक रूप से तड़के चार बजे अस्पताल पहुंचती है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित की मौत तड़के 3.40 बजे हो चुकी थी. इस पूरे मामले में चार नामजद आरोपी हैं. जिसमें से तीन को गिरफ्तार किया गया है और एक की तलाश जारी है.



क्षेत्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुमार ने बताया कि दो शख्स अकबर और असलम रात में खेतों से होकर गाय ले जा रहे थे. जब ये मवेशी चिल्लाने लगे, तो कुछ गांव वालों ने बाहर आकर अकबर को पीटना शुरू किया. तेज बारिश होने के कारण अकबर कीचड़ में गिर गया और उसका साथी असलम भाग निकला. तबतक पुलिस घटना स्थल पर पहुंच गई.


हालांकि पीड़ित के कीचड़ से सने होने के कारण पुलिस ने उसे अपनी गाड़ी से ले जाने से इंकार कर दिया और गांव वालों को उसे साफ करने को कहा. गांववालों ने उस पर पानी डाला. धर्मेद्र नामक व्यक्ति अपने घर से कपड़े लाया. पुलिस ने बाद में धर्मेद्र को आरोपी के तौर पर हिरासत में ले लिया. विजय कुमार का कहना है कि पुलिस वाले नशे में थे और पीड़ित के पहले भी गौ तस्करी में शामिल रहने के कारण पुलिस ने भी शायद उसे पीटा हो.


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उनके अनुसार, जब अकबर की मौत हुई तो पुलिसवाले खुद को बचाने के लिए प्रत्यक्षदर्शियों को गिरफ्तार करने गांव आए. इस बीच गाय को तड़के 3.26 बजे एक तीन-पहिया वाहन से गौशाला ले जाया गया. अलवर के पुलिस अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने संवाददाताओं को बताया, ''हम मामले की जांच कर रहे हैं और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.''


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