अलवर: राजस्थान के अलवर में गो तस्करी के शक में अकबर खान उर्फ रकबर की हुई हत्या की गुत्थी अब भी अनसुलझी है. इस बीच भीड़ को चकमा देकर भागे अकबर के दोस्त असलम ने चौंकाने वाला दावा किया है. असलम के मुताबिक, कथित गो-रक्षकों की भीड़ जब उनपर हमला करने आई तो भीड़ ने कहा, ''विधायक हमारे साथ हैं. कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. उसे (अकबर, असलम) जला दो.'' असलम ने पुलिस को दिये गये बयान में यह दावा किया है.


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि असलम ने भीड़ के हमले के वक्त धर्मेंद्र, परमजीत, नरेश, सुरेश और विजय का नाम सुना था. जो पूरे मामले में आरोपी है. इन आरोपियों में से तीन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और दो की तलाश जारी है.


आपको बता दें कि अलवर की घटना सुर्खियों में आने के बाद बीजेपी विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने आरोपियों का बचाव करते हुए दावा किया था कि अकबर खान की मौत भीड़ के हमले में नहीं, पुलिस की पिटाई में हुई है. उन्होंने न्यायिक जांच की मांग करते हुए कहा था कि जांच के बाद सबकुछ साफ हो जाएगा.


आपको बता दें कि अकबर खान अपने दोस्त असलम के साथ के साथ पशुओं को ले जा रहा था, तभी अलवर में लालावंडी गांव के समीप ग्रामीणों के एक समूह ने उसे रोक लिया और उसकी बेरहमी से पिटाई की. रामगढ़, जयपुर रेंज के अतिरिक्त महानिदेशक ने बताया था की सूचना आधी रात के बाद 12.40 बजे मिली थी. घायल अकबर खान ने अधिकारियों को बताया कि वह अपने साथी असलम के साथ लाडपुर से गायों को खरीद कर लाया था और वे अपने गांव जा रहे थे, तभी उन लोगों ने उन्हें गो तस्कर समझ लिया और उनपर हमला कर दिया. असलम किसी तरह से जान बचाकर भाग गया.


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आपको बता दें कि इस पूरे मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है. चश्मदीदों का दावा है कि अगर पुलिस संदवेदनशीलता दिखाती तो अकबर खान की जान बच सकती थी. दावा यह भी किया जा रहा है कि भीड़ ने अकबर खान की हल्की पिटाई की थी और पुलिस के हवाले कर दिया था. लेकिन बाद में पुलिस ने भी अकबर की पिटाई की और उसे अस्पताल ले जाने के बजाय थाने लेकर गई. पुलिस तीन घंटे के देरी से अकबर को अस्पताल लेकर आई, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. पुलिस ने लापरवाही की बात कबूल की है. इस मामले में राजस्थान ने चार पुलिसकर्मी को सस्पेंड कर दिया है और तीन को लाइन हाजिर किया है.


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